मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में जेल में बंद पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति अनिल उपमन की एकल पीठ ने स्वयं को इस प्रकरण से अलग करते हुए एक्ससेप्शन लिया और सुनवाई से इनकार कर दिया। अब यह मामला जुलाई माह में किसी अन्य बेंच में सूचीबद्ध होगा।

गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और रिश्वतखोरी के आरोप >>>
इससे पहले 13 जून को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मामलों की विशेष अदालत ने महेश जोशी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि आरोपी पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और रिश्वतखोरी के आरोप हैं, और जांच अभी जारी है। कोर्ट ने माना कि इस स्तर पर आरोपी को राहत देना उचित नहीं होगा। ईडी ने अदालत में तर्क रखा कि जेजेएम घोटाले में शामिल कई ठेकेदार महेश जोशी के संपर्क में थे और रिश्वत की राशि जोशी तक पहुंचाई जाती थी। ईडी ने बताया कि इस मामले में कई ठेकेदार पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और अभी भी महेश मित्तल समेत अन्य आरोपियों की जांच लंबित है।
पांच करोड़ रुपए के संदिग्ध लेनदेन का आरोप >>>
ईडी के अनुसार, महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया पर पांच करोड़ रुपए के संदिग्ध लेनदेन का भी आरोप है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक लेन-देन की कड़ी जोशी तक जाती है।
महेश जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने जमानत याचिका पर बहस के दौरान कहा कि ईडी ने सुन-सुनाई बातों और काल्पनिक तथ्यों के आधार पर जोशी को आरोपी बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाई गई, जिससे उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है।
करोड़ों रुपए के टेंडर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के जरिए >>>
बाजवा ने सवाल उठाया कि जब मार्च 2024 में ईडी ने पहली बार नोटिस जारी किया था, तो पूरे एक साल बाद अप्रैल 2025 में अचानक गिरफ्तारी क्यों की गई। उन्होंने इस पूरे मामले को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया।
घोटाले की जड़ में दो ट्यूबवेल कंपनियों-श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी का नाम सामने आया है। इनके संचालकों पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के टेंडर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के जरिए प्राप्त किए।
श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने 68 निविदाओं में हिस्सा लिया और 31 टेंडर हासिल कर 7859.2 करोड़ के काम लिए। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल-1 बनकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए।
कैसे सामने आया घोटाला ? >>>
सबसे पहले इस घोटाले की भनक एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को लगी, जिसने प्राथमिक जांच में कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। इसके बाद मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक पहुंचा और फिर 3 मई 2024 को सीबीआई ने भी केस दर्ज कर लिया। ईडी ने 4 मई को अपनी जांच पूरी कर, सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए। आरोपियों के ठिकानों पर दबिश दी गई, जिसमें पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनके करीबी संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हुई।
जुलाई में हो सकती है अगली सुनवाई >>>
अब जब हाईकोर्ट की मौजूदा पीठ ने सुनवाई से इनकार कर दिया है, तो यह मामला जुलाई में किसी दूसरी बेंच के समक्ष रखा जाएगा। फिलहाल महेश जोशी न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी रिहाई की संभावना अदालत की अगली कार्यवाही पर टिकी है।

