राष्ट्रपति से मिले भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। भारतीय विदेश सेवा (2023 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से सदाचार भेंट की।
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों का उत्तरदायित्व :-
इन अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विदेश नीति कोई लिखित सार या अभिजात्य वर्ग से जुड़ा कार्यकलाप नहीं है। यह दरअसल घरेलू नीतियों का ही विस्तार है, जिनका उद्देश्य देश के राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधी हितों और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करना है। अत: यह भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों का उत्तरदायित्व है कि वे न केवल हमारे हितों की रक्षा करें, बल्कि इसके साथ ही वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का लक्ष्य हासिल करने के व्यापक रणनीतिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वैश्विक एजेंडे को सटीक स्वरूप प्रदान करें।

सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से सदाचार भेंट करते हुए।


140 करोड़ भारतवासियों का करते हैं प्रतिनिधित्व :-
राष्ट्रपति ने कहा कि आईएफएस अधिकारियों को यह याद रखना चाहिए कि वे सिर्फ भारत सरकार का ही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वे 1.4 अरब भारतीयों, और उनकी उम्मीदों एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे भारत की विविधतापूर्ण एवं बहुलवादी संस्कृति, हमारी 5000 साल पुरानी सभ्यता की प्रचुरता का प्रतिनिधित्व करते हैं, और इसके साथ ही वे एक ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मूलत:  इस अप्रत्याशित संसार में लोगों की भलाई और स्थिरता के लिए एक बड़ी ताकत है। अत: इसे ध्यान में रखते हुए इनमें से प्रत्येक पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है।

सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के साथ फोटो खिंचवाते हुए।


अधिक से अधिक भाषाएं सीखने की सलाह  :-
राष्ट्रपति ने कहा कि एक अच्छे राजनयिक में यह अद्वितीय कौशल होना अत्यंत आवश्यक है – उन्हें संचार या संवाद करने में अत्यंत प्रभावकारी और इसके साथ ही रणनीतिक विचारक भी होना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें अपने मेजबान देश और भारत दोनों की ही गहरी राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समझ होनी चाहिए। यह ध्यान में रखते हुए कि ये अधिकारीगण अपनी पहली पोस्टिंग के लिए विदेश जाएंगे, विदेशी भाषा में प्रशिक्षण का उल्लेख करते हुए माननीया राष्ट्रपति ने उन्हें अधिक से अधिक भाषाएं सीखने की सलाह दी और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे नई संस्कृतियों, लोगों, एवं प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए तैयार रहें। माननीया राष्ट्रपति ने कहा कि ये समस्त कौशल एवं संवेदनाएं उन्हें एक अत्यंत प्रभावकारी और सर्वगुण संपन्न या काबिल राजनयिक बनाएंगी।