ठगी एससी-एसटी लोगों के साथ कैसे होती है ? देखिए बानगी … बानगी … बानगी

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मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। अभी हाल ही में राजस्थान सरकार की कैबिनेट एवं मंत्री परिषद की मीटिंग में एससी-एसटी की काश्त भूमि को गैर एससी-एसटी के व्यक्तियों को लीज पर देने के लिए भू रूपांतरण नियम 2007 के नियमों में संशोधन किया है। लेकिन इससे पहले राजस्थान सरकार को एससी-एसटी के साथ गैर एससी-एसटी के लोग किस प्रकार से षड्यंत्र रचते हैं, इस बात की बात को समझना अति आवश्यक था। लेकिन, राजस्थान सरकार ने पता नहीं ऐसा क्यों नहीं किया।

बांसवाड़ा जिले के सियापुर गांव में जहां उद्योग बताया गया है उसे जगह की फोटो


सरकारी रिकॉर्ड में प्रदेश के आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने का झांसा

गौरतलब है कि भारत सरकार के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग की वेबसाइट एमएसएमई पोर्टल के आंकड़े से पता चलता है कि आदिवासियों के उत्थान तथा उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए जिस प्रकार अभी हाल ही में राजस्थान सरकार ने एससी-एसटी की काश्त भूमि को गैर एससी एसटी के लोगों को लीज पर देने के लिए नियमों में संशोधन किया है। ठीक उसी प्रकार से भारत सरकार ने भी आदिवासियों के उत्थान के लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग द्वारा उद्योगपतियों द्वारा उद्योग स्थापित करवा कर उनका जीवन स्तर सुधारने की बात कही गई थी, लेकिन मामला पूरा उल्टा-पुल्टा हो गया। आदिवासी क्षेत्र में उद्योग स्थापित दिखाकर बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर सरकार को राजस्व की हानि का चूना लगाकर फर्जी तरीके से 3,72,000 आदिवासियों को रोजगार देना बताया गया।


सरकार की टैक्स चोरी के साथ रोजगार का बड़ा फर्जीवाड़ा

सरकार की वेबसाइट के अनुसार आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में हर माह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) 700 नए उद्योग लग रहे हैं। 10 साल में 60 हजार उद्योग लग गए। इनमें 1500 करोड़ निवेश हुआ और 3.72 लाख लोगों को रोजगार भी दे दिया। भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय के एमएसएमई पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि इसी साल अप्रैल से सितंबर तक के 6 माह में 102.83 करोड़ की लागत से 4510 उद्योग लगे और इनमें 37,135 लोगों को रोजगार मिला है। परंतु, सब कागजों में ही है, धरातल कुछ भी नहीं। इस प्रकार का दिखावा करके एससी-एसटी के लोगों के साथ बहुत बड़ा छलावा एवं षड्यंत्र रचा जा रहा है।


बांसवाड़ा जिले में 60 हजार एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड

आपको बता दे, बांसवाड़ा जिले में 60 हजार एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड होना बताया गया है। जिलेभर में छोटे-बड़े सभी चालू उद्योग 500 से ज्यादा नहीं हैं। इनमें भी हर साल 10 प्रतिशत नए उद्योग शुरू होते हैं तो 5 प्रतिशत बंद हो जाते हैं। जो उद्योग बंद होता है, वो भी रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं कराते, चेंजओवर लेता है। मतलब, घाटा होने पर एक बंद कर दूसरा शुरू कर देते हैं। रजिस्ट्रेशन का फायदा सिर्फ बैंकों से लोन लेना, डमी फर्म खड़ी कर इसमें निवेश दिखाते हुए मुख्य फर्म का टैक्स बचाना है। कर्मचारियों की संख्या दिखाकर उनके वेतन, ईएसआई, पीएफ राशि की कटौती के नाम पर कर चोरी की जाती है। इनमें ज्यादातर डमी कंपनियां होती हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि ये लोग टैक्स चोरी या बैंकों से लोन के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक हितेश जोशी बोले कि बांसवाड़ा जैसी जगह में इतने उद्योग लगना संभव ही नहीं है। इसकी जांच करवाएंगे। जमीनों की तरह पोर्टल पर उद्योगों के रजिस्ट्रेशन के लिए भी जीओ टैगिंग, फोटो, उत्पादन और वहां पर काम करते हुए श्रमिकों की वीडियो अपलोड करना अनिवार्य करना चाहिए।

बेजा लूट हो रही है आदिवासियों के नाम पर

काबिले गौर है कि उद्योग स्थापित करने के लिए सबसे पहले जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र मौके पर जाकर उद्योग का वेरिफिकेशन होता था, फिर रजिस्ट्रेशन होता था। लेकिन, 2015 में भाजपा की सरकार में इंस्पेक्टरराज खत्म करने के लिए वेरीफिकेशन बंद कर दिया गया। सीधे रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी तो फर्जीवाड़ा शुरू हो गया। हालत इतनी खराब है कि डमी कंपनियों की बाढ़ सी आ गई। डमी कंपनियों में कर्मचारियों की फर्जी संख्या दिखाकर उनके वेतन, ईएसआई, पीएफ राशि की कटौती के नाम पर टैक्स चोरी की जाती है। कुछ कंपनियां सरकारी टेंडर लेने, बैंकों से लोन लेने या फिर ऐसे ही अन्य प्रकार के फर्जीवाड़ा करने के लिए शुरू की जाती है। इससे सरकार को टैक्स का नुकसान तो होता ही है, देश के लिए भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए बताए गए आंकड़ों की वास्तविकता पर भी सवाल खड़े होते हैं। अब सरकार को समझना होगा की क्या एससी-एसटी के लोगों की काश्त भूमि को गैर एससी-एसटी के लोगों को लीज पर देना कितना फायदा बंद है।

यह कहना गलत ना होगा कि जितना भी गड़बड़-घोटाला होता है वह सरकार की नजर से छुपा हुआ नहीं है। कई सालों से एससी-एसटी के व्यक्तियों के साथ छल कपट और षडयंत्र पूर्वक बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है, लेकिन सरकार ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ आज दिन तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल पैदा करता है।