आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से भड़के एससी एसटी के सांसद : मोदी से हुई मुलाकात

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


नई दिल्ली। आरक्षित वर्ग के उप-वर्गीकरण करने के विषय पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सांसदों ने बिगुल बजाना शुरू कर दिया। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति के सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग की चर्चा भी जोरों पर :-
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से आरक्षित वर्ग के लोगों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों की मांग है कि आरक्षण के मामले में उप-वर्गीकरण का फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग की चर्चा भी जोरों पर चल रही है। आरक्षित वर्ग के लोगों का मानना है कि आरक्षण में उप-वर्गीकरण वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल आरक्षित वर्ग के लोगों में फूट डालने वाला है, अपितु आरक्षित वर्गों के हितों पर कुठाराघात करने वाला भी है। इसी के चलते एससी एसटी आरक्षित वर्ग के लोगों ने एससी एसटी के सांसदों पर इस बात का दबाव बनाना शुरू कर दिया कि समय रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद कानून बनाकर बदला जाए या या फिर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को वापस लेकर रद्द करें।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों से प्रधानमंत्री की मुलाकात :-
प्रधानमंत्री ने डैमेज कंट्रोल को ठीक करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण तथा उनके सशक्तिकरण के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध एवं संकल्पित हैं।

श्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा :—
“आज अजा/अजजा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। अजा/अजजा समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए हमारी प्रतिबद्धता और संकल्प दोहराया।”

श्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट के बारे में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर तीन पोस्ट डालकर बताया :—
1. माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज उनसे भेंट करने गए बीजेपी के SC/ST सांसदों को यह आश्वासन देना कि SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने तथा एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी माँगों पर गौर किया जाएगा, यह उचित व ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत।
2. किन्तु अच्छा होता कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल द्वारा आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना तथा इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता।
3. सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहाँ इस निर्णय का इस्तेमाल करके SC/ST वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए।

इसी प्रकार एक्स पर एक यूजर ने प्रधानमंत्री की पोस्ट का जवाब देते हुए पोस्ट में लिखा :—

” SC/ST reservation को नौवीं सूची में तत्काल डाला जाए ताकि भविष्य में भी कोई इसको लेकर छेड़ छाड़ न करे।”

इसी प्रकार एक्स पर यूजर एडवोकेट सुधीर सिद्ध ने लिखा –

” माननीय प्रधानमंत्री जी अनुसूचित जाति व जनजाति वाले मामले को 9वीं अनुसूची में डाल दीजिए, ताकि बार-बार कुठाराघात ना हो सके, क्योंकि कांग्रेस व उसके सहयोगियों के निकम्मेपन के कारण इन स्थितियों का सामना कर पड़ रहा है।”

एक यूजर ने लिखा —

” PM मोदी जी, आप लोग समाज को मूर्ख बनाना बंद करे। हम आपकी शातिराना चाल समझ रहे हैं। बीजेपी का यह डेलिगेशन सिर्फ क्रिमीलेयर पर बात कर रहा है, परंतु वे SC-ST समाज के उप-वर्गीकरण पर चुप हैं। राज्य सरकारों द्वारा SC-ST अनुसूची में किसी भी तरह का छेड़छाड़ स्वीकार नहीं जाएगा। सीधी बात।”

सुनीता सिद्धार्थ नाम के यूजर्स ने लिखा —

” आदरणीय प्रधानमंत्री सर कुछ सांसद लोग क्रीमीलेयर की बात कर रहें हैं मगर एससी एसटी समाज पूरा फैसला वापस करने की बात कर रहा है। यह भी क्लीयर करिये आदरणीय सर। हमें उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर कुछ भी मंजूर नही। आप एससी एसटी समाज की बात सुनें और जैसा आदरणीया @Mayawati बहनजी ने कहा । “

यह कहना गलत ना होगा कि यदि सरकार समय रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई उचित कार्रवाई नहीं करती है तो संभवतः देश की जनता सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को रद्द करवाने के लिए सड़कों पर आकर धरना-प्रदर्शन करके अपना विरोध जताने के लिए तरह-तरह के रास्ते अपना सकते है।