सभी एग्जिट पोल फेल : भाजपा ने 57 साल का तोड़ा रिकॉर्ड ; कांग्रेस को है गहन मंथन की जरूरत

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली / जयपुर। 5 अक्टूबर के शाम के समय की बात है। सभी मीडिया हाउसों ने हरियाणा विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद एग्जिट पोल के परिणाम जारी कर दिए। एग्जिट पोल्स के परिणामों ने कांग्रेस को इतना खुश कर दिया कि कांग्रेस के नेता फूले नहीं नहीं समा रहे थे। कहीं तरह की टीका टिप्पणियां कर रहे थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी बड़ी खामोशी से यह सब देख रही थी।


जाट वर्सेज नॉन जाट’  का फार्मूला भाजपा के लिए रामबाण :-
इस बार के हरियाणा के विधानसभा चुनाव राजनीतिक पंडितों के लिए एक अनोखा अध्ययन का विषय बन गया। हरियाणा चुनाव में जातिवाद का फैक्टर पूरी तरह से धूल चटाता हुआ नजर आया। यही भाजपा का फॉर्मूला तीसरी बार हिट हो गया, लेकिन एक ट्विस्ट के साथ। ‘जाट वर्सेज नॉन जाट’ की राजनीति से गैर जाटों को इकट्ठा कर लिया, वहीं जाटों के गढ़ में भी 9 नई सीटें जीत लीं। हरियाणा के 57 साल के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।


बीजेपी की इस रिकॉर्ड जीत के 5 बड़े फैक्टर्स :-


गौरतलब है कि मंगलवार को दोपहर बाद 4 बजे तक भाजपा हरियाणा में कुल 50 सीटों पर जीतती दिख रही है। 2019 में 40 सीटें और 2014 में 47 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भाजपा ने 22 नई सीटें जीतीं और 27 मौजूदा सीटें भी बचाने में कामयाब रही।
बीजेपी की इस रिकॉर्ड जीत के 5 बड़े फैक्टर्स इस प्रकार है :-


1. बीजेपी ने 25 टिकट बदले, उनमें 16 कैंडिडेट जीत रहे


2024 चुनाव से पहले बीजेपी ने 25 सीटों पर टिकट बदल दिए। ट्रेंड्स के मुताबिक इनमें से 16 कैंडिडेट्स जीत रहे हैं या आगे हैं।
इसे ऐसे समझिए कि बीजेपी ने कुल 90 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, उनमें से 49 जीत रहे हैं यानी करीब 56%। वहीं बीजेपी ने 25 सीटों पर टिकट बदले, उनमें 16 जीत रहे हैं यानी करीब 67%। यानी बीजेपी के टिकट बदलने का फॉर्मूला काम कर गया।


2. खट्टर की जगह सैनी को सीएम बनाने का दांव कामयाब


RSS के बैकग्राउंड और पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर करीब 9.5 साल तक हरियाणा के सीएम रहे। चुनाव से 6 महीने पहले मार्च 2024 में खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया। हरियाणा की करीब 44% OBC आबादी को अपनी ओर करने का दांव चला। इसके अलावा पार्टी ने सर्वे में पाया कि किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के विरोध के कारण खट्टर के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी लहर है।
इसके अलावा खट्टर चुनाव प्रचार से भी नदारद रहे। यहां तक कि राज्य के ज्यादातर पोस्टर्स में खट्टर का चेहरा नहीं दिखा। पीएम नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में 4 रैलियां कीं। इनमें से केवल एक रैली में ही खट्टर मौजूद रहे। सीनियर जर्नलिस्ट पवन पवन कुमार बंसल बताते हैं,
” मनोहर लाल खट्टर को लेकर लोगों में नाराजगी रही। उनके अंदर एरोगेंस था, वो लोगों से बदतमीजी से मिलते थे। उन्होंने लोगों का काम करने से मना किया।


3. बीजेपी का जाट वर्सेज गैर-जाट फॉर्मूला तीसरी बार कामयाब


हरियाणा में 36 बिरादरियां हैं। इनमें 27% के साथ सबसे बड़ी कम्युनिटी जाट है। भाजपा ने गैर-जाट की राजनीति करनी शुरू की। पारंपरिक तौर पर सवर्णों की पार्टी कहलाई जाने वाली भाजपा ब्राह्मण, पंजाबी, बनिया और राजपूत वोटों को लेकर आश्वस्त थी। इसके अलावा पार्टी ने पिछड़े और दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की। ये फॉर्मूला 2014 और 2019 के बाद इस बार भी कामयाब रहा।
इसकी एक बानगी देखिए। हरियाणा में अनुसूचित जातियों (SC) की आबादी करीब 20% है, जिनके लिए 17 सीटें रिजर्व हैं। 2019 में भाजपा ने इनमें से 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा SC रिजर्व 7 सीटों पर जीत रही है।


4. जेजेपी का जनाधारा टूटा, बीजेपी को फायदा


2019 के चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीती थीं। इनमें से 5 बागड़, 4 बांगर और 1 जीटी रोड बेल्ट की सीट थी। 2024 में JJP का सफाया हो गया। JJP की 10 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। बीजेपी 4 सीटों पर काबिज है। इनमें बांगर और बागड़ बेल्ट की 2-2 सीटें हैं। वहीं कांग्रेस 6 सीटों पर कामयाब हुई। इनमें बागड़ बेल्ट की 3, बांगर बेल्ट की 2 और जीटी रोड बेल्ट की 1 सीट शामिल है।
दरअसल, 2019 में चुनाव के बाद बीजेपी और JJP ने अलायंस कर सरकार बनाई थी। JJP के दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने, लेकिन मार्च 2024 में JJP ने अलायंस तोड़ दिया और बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2019 में JJP के साथ हुए अलायंस का फायदा 2024 में बीजेपी को मिला और JJP के हिस्से नुकसान आया।


5. कांग्रेस की 70 सभाओं पर बीजेपी की 150 रैलियां भारी


बीजेपी ने हरियाणा में करीब 150 रैलियां कीं। इनमें से 4 रैलियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और 10 रैलियां गृहमंत्री अमित शाह ने की। मोदी ने रैली कर करीब 20 सीटों को कवर किया, जिनमें से 10 सीटों पर बीजेपी आगे है। इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आधा दर्जन से ज्यादा सभाएं कीं। साथ ही 40 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री और सांसदों ने बीजेपी के लिए वोट मांगे।
वहीं कांग्रेस ने केवल 70 सभाएं कीं। इनमें से 4 रैलियां और 2 रोड शो विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने की। जबकि प्रियंका गांधी ने 2 सभाएं और राहुल के साथ एक रोड शो किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2 रैलियां कीं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ कई पूर्व मुख्यमंत्रियों और सांसदों ने कांग्रेस के लिए वोट मांगे। इस चुनाव में कांग्रेस की 70 सभाओं पर बीजेपी की 150 रैलियां भारी पड़ीं।

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