रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। सरकार ने मोबाइल सेवाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब देश में सभी मोबाइल नंबरों के लिए केवॉयसी यानी नो योर कस्टमर प्रक्रिया को पूरी तरह अनिवार्य कर दिया है।

अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाना जरुरी >>>
गौरतलब है कि सरकार के इस फैसला विशेष रूप से उन उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा जो अब तक बिना पूरी पहचान के प्रीपेड सिम कार्ड ले लेते थे। पहले तक प्रीपेड ग्राहकों को कुछ हद तक केवॉयसी में छूट दी गई थी, लेकिन अब यह छूट पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। अब चाहे मोबाइल नंबर प्रीपेड हो या पोस्टपेड, ग्राहक को पहचान और पते का प्रमाण भी देना ही होगा। यह प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से जैसे टेलीकॉम कंपनियों की वेबसाइट या ऐप के जरिए या फिर ऑफलाइन टेलीकॉम स्टोर्स पर जाकर पूरी की जा सकती है। सरकार का कहना है कि यह कदम देश में अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाना जरुरी था। मोबाइल नंबरों का दुरुपयोग टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर फॉड जैसी गतिविधियों में किया जाता है।
काफी हद तक लगेगा नियंत्रण >>>
बिना केवॉयसी वाले नंबर इन अपराधों में सहायक हो सकते हैं, इसलिए इस फैसले से इन पर काफी हद तक नियंत्रण लगेगा। इसके अलावा हर मोबाइल नंबर एक वैध और प्रमाणित व्यक्ति से जुड़ा होगा, जिससे सरकार को आपातकालीन सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी में भी मदद मिलेगी।

सिम खरीदते समय पूरी केवॉयसी प्रक्रिया से गुजरना होगा >>>
इस नए नियम का असर प्रीपेड मोबाइल यूजर्स पर पड़ेगा। उन्हें अब सिम खरीदते समय पूरी केवॉयसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह प्रक्रिया थोड़ी समय लेने वाली और असुविधाजनक लग सकती है, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे लंबे समय में आम नागरिकों को ही फायदा होगा।
वहीं पोस्टपेड यूजर्स पर इसका प्रभाव सीमित रहेगा क्योंकि वे पहले से ही केवॉयसी प्रक्रिया से गुजर होंगे। हालांकि उन्हें भी समय-समय पर अपनी जानकारी अपडेट करनी होगी। कुल मिलाकर सरकार का यह कदम मोबाइल यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाने, डिजिटल ट्रैकिंग को मजबूत करने और अवैध कार्यों को रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।