मीनेष चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
उदयपुर। राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले के गोगुंदा में आदमखोर बघेरा का आतंक और खौफ इस बात को दर्शाता है कि राजस्थान सरकार 9 लोगों की जान लेने के बाद भी खतरनाक बघेरा को पकड़ने में नाकाम रही।
आपको वह तस्वीर दिखाते हैं जहां लोग भय के वातावरण में जी रहे हैं। ये तस्वीर ढोल गांव की है। मोहनी बाई की भैंसों की रात उनके बेडरूम में कट रही है। दिन में भी बाहर नहीं निकालते। पूछने पर कहती हैं – अभी भी वो (बघेरा) जिंदा है, 9 इंसानों को खा चुका है। ढूंढकर हमले कर रहा है।
सैकड़ों ग्रामीण घरों में कैद रहने को मजबूर :-
मोहनी बाई की तरह सैकड़ों ग्रामीण घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। खेती-बाड़ी ठप पड़ी है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। दर्जनों गांवों में हालात अघोषित कर्फ्यू जैसे हैं। आदमखोर अब तक 9 लोगों को शिकार बना चुका है। हैलो सरकार टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर जाना कि बघेरा के आतंक की कहानी शुरू कैसे हुई? बघेरा के शिकार हुए मृतकों के घर के हालात अब कैसे हैं?
यहां – यहां किया बघेरा ने शिकार :-
सबसे पहले आदमखोर बघेरा ने कुराबड़ में हमले के प्रयास के बाद झाड़ोल में धावा बोला। झाड़ोल के कीरट में 8 सितंबर को रामलीबाई का शिकार किया। रामलीबाई का सिर उसके धड़ से 5 फीट दूरी पर मिला। बघेरा ने उसे गर्दन से दबोच लिया और उसे घसीटते हुए झाड़ियों में ले गया। साढ़े तीन महीने बाद इलाके में हुए बघेरा के इस हमले के बाद आदमखोर एक के बाद एक नौ शिकार कर चुका है। अभी उसकी लोकेशन राठौड़ों का गुड़ा गांव की 3 किलोमीटर की रेंज में बताई जा रही है।
लोगों ने हिम्मत जुटाकर आदमखोर को गांव में ही घेरा :-
आदमखोर बघेरा को सर्च टीमों ने राठौड़ों का गुड़ा गांव में घेर रखा है। इससे पहले बघेरा ने जिन गांवों में इंसानों को मौत के घाट उतारा, उन गांवों में कर्फ्यू जैसा माहौल है। दहशत के मारे ग्रामीण सूर्यास्त होने से 2 घंटे पहले ही घरों में कैद हो जाते हैं। बघेरा मूवमेंट कर रहा है और इंसान दिखाई देते ही हमला कर रहा है। लोगों ने हैलो सरकार टीम को बताया कि बघेरा को गांव के लोग आराम से मार सकते थे, लेकिन वन्यजीव प्रेमियों के आवाज उठाने से लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजह से किसी ने खतरनाक बघेरा को नहीं मारा। लोगों में भय पैदा होने से गया है अब उनका हौसला टूट गया।
निकलते हैं लोग कुल्हाड़ी, हसियां, दांतली साथ लेकर :-
हैलो सरकार की टीम उड़ीथल गांव पहुंची। बघेरा ने अपना दूसरा शिकार 19 सितंबर को यहां किया था। उड़ीथल के दिलीप ने बताया कि आज भी पूरा गांव दहशत में है, क्योंकि आदमखोर अभी जिंदा है। ग्रामीण अब दिन में भी अकेले नहीं निकलते हैं। बाहर जाते समय खेती बाड़ी के औजार कुल्हाड़ी, हसियां, दांतली साथ लेकर जाते हैं। खेत से चारा लाते समय दो से तीन लोग निगरानी रखते हैं। उड़ीथल के ही केशुलाल और भंवरलाल कहते हैं- 19 सितंबर को शिकार करने के बाद एक बार फिर बघेरा का मूवमेंट देखने को मिला है। रात को बघेरा की आवाजें ग्रामीणों को चैन से सोने नहीं देतीं। हम नहीं जानते की वो आदमखोर है या नहीं लेकिन डर के कारण रात को कोई घर से बाहर नहीं निकलता है। गांव के लोग एकजुट होकर सर्च टीमों के साथ बघेरा की तलाश करते हैं। मूवमेंट की जानकारी मिलने पर वन विभाग को इसकी सूचना देते हैं।
खेत में नहीं जा रहे ग्रामीण, बच्चों ने किया स्कूल जाना बंद :-
जिस-जिस भी जगहों पर बघेरा ने इंसानों का शिकार किया, वहां ग्रामीण बच्चों को अकेले स्कूल नहीं भेज रहे। पशुओं को बाड़ों की बजाय घर के अंदर बांध रहे हैं। हम गुर्जर खेड़ा गांव पहुंचे। यहां 28 सितंबर को बघेरा ने गटू बाई नाम की महिला का शिकार किया था। ग्रामीण छगनलाल बताते हैं- बघेरा का शिकार हुई महिला का खून से लथपथ शव देखने के बाद गांव में खौफ है। हमने खेतों में काम करना बंद कर दिया है। बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं। ये डर तभी खत्म होगा जब बघेरा पकड़ा जाएगा।
जिनका बघेरा ने शिकार किया, उन घरों में मातम का माहौल :-
गोगुंदा रेंज के जिन गांवों में आदमखोर बघेरा ने 9 लोगों का शिकार किया, उन इलाकों में मातम है। परिवारों पर मुसीबत का जैसे पहाड़ टूट गया है। हैलो सरकार टीम बघेरा के शिकार हुए 9 लोगों में से 6 मृतकों के घर पहुंची। अपनों को खोने का दर्द क्या होता है, उसे यहां आकर महसूस किया जा सकता है।
अब देखना होगा कि राजस्थान सरकार जिन परिवारों में अपने-अपने परिवार के सदस्यों को खोया है, क्या उन परिवारों को राजस्थान सरकार कोई राहत राशि देगी या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। बहरहाल, बघेरा के आतंक से लोगों में इतनी दहशत है कि लोग डर के मारे घरों से निकलना भी दूभर समझते हैं।