खुलासा हो गया कैग की रिपोर्ट से केंद्र और राज्य के संबंधों का

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
  जयपुर। गहलोत और मोदी सरकार-2 के बीच संबंधों का खुलासा विधानसभा में भारत के नियंत्रक और महा लेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से एक जबरदस्त खुलासा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में गहलोत सरकार को केंद्र सरकार से जितनी राशि मिलनी चाहिए थी, उससे करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपए कम मिले। यदि यह यह राशि समय पर गहलोत सरकार को मिल गई होती है तो राजस्थान प्रदेश में और भी विकास देखने को मिलता।
आपको बताते चले, भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार भारत के नियंत्रक और महा लेखापरीक्षक (कैग) हर वर्ष अपनी रिपोर्ट राजस्थान विधानसभा में पेश करता है। कैग ने बुधवार को ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा में रखी। इस रिपोर्ट के अनुसार गहलोत राज में वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार ने राज्य को 29,846 करोड़ रुपए की सहायता दी थी। जो साल 2021-22 के 36,326 करोड़ के मुकाबले 6,480 करोड़ रुपए कम थी।


तय सीमा के भीतर गहलोत सरकार नहीं रख सकी घाटा :-


गौर तलब है कि कैग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि गहलोत सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत की सीमा में नहीं रख सकी। रिपोर्ट में कहा गया कि राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम कहता है कि सरकारों को राजकोषीय घाटे को ग्रॉस स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट (GSDP) के तीन प्रतिशत की सीमा के भीतर रखना होगा। लेकिन गहलोत सरकार ऐसा नहीं कर सकी।
उक्त वित्त वर्ष में गहलोत सरकार का राजकोषीय घाटा 51,028 करोड़ था। जो जीएसडीपी का 3.61 प्रतिशत होता है। हालांकि कोरोना के चलते केंद्र सरकार ने राज्यों को राजकोषीय घाटे की सीमा में छूट दी थी। ऐसे में यह केंद्र सरकार के द्वारा अनुमत समग्र राजकोषीय दायरे के भीतर था। अशोक गहलोत ने भी अपने शासनकाल में लगातार यह आरोप लगाए थे कि केंद्र सरकार राज्य को उसके हक का पूरा पैसा नहीं दे रही है।

भारत के नियंत्रक और महा लेखापरीक्षक (कैग) बुधवार को अपनी रिपोर्ट राजस्थान विधानसभा में पेश करते हुए


कैग की रिपोर्ट में बिजली कंपनियों की वित्तीय अनियमितताएं भी आई सामने :-


अपनी रिपोर्ट में कैग ने प्रदेश की बिजली कंपनियों के वित्तीय प्रबंधन पर भी सवाल उठाए। रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2016-17 में उदय योजना के तहत बिजली कंपनियों का 60 हजार करोड़ का घाटा कम किया गया। लेकिन, उसके बाद भी बिजली कंपनियों ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया। बिजली कंपनियां आज भी घाटे में हैं। रिपोर्ट में कैग ने बिजली कंपनियों में कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
इसके अलावा कैग ने सरकार के खनन विभाग पर भी कई सवाल खड़े किए। रिपोर्ट में कहा गया कि खनन विभाग को ठेकेदारों ने राजस्व का नुकसान पहुंचाया। लेकिन, विभाग ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। माइनिंग रॉयल्टी की राशि भी विभाग को पूरी नहीं मिली। जो अपने आप में काफी गंभीर विषय है।
आपको यह भी बताते चले कि विभागों को लेकर कैग की यह रिपोर्ट साल 2017 से 2021 के बीच की है। जिसमें पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार और गहलोत सरकार का लेखा जोखा था।