रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। विश्व विख्यात अर्थशास्त्री एवं भारत में आर्थिक सुधारों के जनक कहे जाने वाले भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री ने रात 9:51 बजे ली अंतिम सांस –
बड़े दुःख के साथ समाचार प्रकाशित करना पड़ रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के AIIMS में रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मिली जानकारी के मुताबिक, घर में अचानक बेहोश होने के बाद परिजनों ने उन्हें देर शाम AIIMS में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एम्स ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह को रात 8:06 बजे अस्पताल लाया गया था। उन्हें ICU में रखा गया था लेकिन उन्हें बचाया नहीं सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम के निधन पर शोक जताया है। मनमोहन सिंह के निधन के बाद देश में 7 दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर –
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है। क्या पक्ष और क्या विपक्ष, हर कोई नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है और देश में उनके योगदान को याद कर रहा है। साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले मनमोहन सिंह का संबंध उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर से भी रहा है। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपनी 8वीं और 9वीं कक्षा की पढ़ाई एमबी इंटर कॉलेज (MB Inter College Haldwani) से की थी। यह इंटर कॉलेज डिग्री कॉलेज के पीछे है। आज भी यहां काफी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
हल्द्वानी का सबसे पुराना इंंटर कॉलेज –
एमबी इंटर कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार, यह हल्द्वानी शहर का सबसे पुराना इंंटर कॉलेज है। 13 अक्टूबर 1908 को इसकी स्थापना हुई थी। इस इंटर कॉलेज से पढ़ चुके कई छात्र आज बड़े-बड़े पदों पर हैं। इस स्कूल ने देश को एक से बढ़कर एक डॉक्टर, शिक्षक, जज और राजनेता दिए हैं।
26 सितंबर 1932 को हुआ था मनमोहन सिंह का जन्म –
अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर एक लड़के का जन्म हुआ, जो आगे चलकर भारत में आर्थिक सुधारों के जनक के तौर पर पहचाना गया। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि डॉ. मनमोहन सिंह थे। उन्होंने साल 1948 में पंजाब में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से कई जगह होते हुए ब्रिटेन के कैंब्रिज तक ले गया, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। डॉ. सिंह ने इसके बाद 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में ‘डी फिल’ की उपाधि प्राप्त की।
हमेशा याद किया जाएगा उदारीकरण को राह पर लाने के लिए –
डॉक्टर मनमोहन सिंह को हमेशा अपने सरल और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता था। 90 के दशक की शुरुआत में भारत को उदारीकरण की राह पर लाने के लिए हमेशा उनको याद किया जाता है और आगे भी हमेशा याद किया जाएगा।