सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रही है सरकार, सालाना 1000 करोड़ रुपए का हो रहा है काला कारोबार

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मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख

जयपुर। यह बात हर आदमी को हैरान करने वाली होती है कि जब सरकारी तंत्र ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं करता है तो इस बात का असर समाज के हर व्यक्ति पर पड़ता है। समाज के हर व्यक्ति के जेहन में एक ही बात रहती है कि क्या फायदा न्यायालयों का दरवाजा खटखटाने से।

1000 करोड़ रुपए की काली कमाई कर रहा है तस्करों का नेटवर्क

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश में 31 मार्च, 2016 के बाद से डोडा चूरा के उपयोग व बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। आदेश के अनुसार डोडा चूरा को पूरी तरह नष्ट करने का प्रावधान है। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो रहा। सरकार के अफसरों से मिलीभगत कर सिर्फ कागजों में इसे नष्ट करने का दिखावा किया जा रहा है। इसका सीधा फायदा तस्करों को मिल रहा है। तस्करों का पूरा नेटवर्क हर साल करीब 1000 करोड़ रुपए की काली कमाई कर रहा है। मालूम हो कि डोडा चूरा नष्ट करने के लिए सरकार ने जिला आबकारी अधिकारी को नोडल अधिकारी बना रखा है। नष्ट करने का काम एक कमेटी की निगरानी में होता है। इसमें आबकारी निरीक्षक और जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक व नारकोटिक्स विभाग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। नारकोटिक्स विभाग के प्रतिनिधि नहीं भी आते हैं तो कमेटी के बाकी सदस्यों की मौजूदगी में डोडा चूरा नष्ट किया जाता है। कमेटी बनाने का दस्तूर हर साल होता है। नष्ट करने का कार्यक्रम भी हर साल जारी होता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही है।



सात जिलों में होती है अफीम की खेती

मजे की बात है कि एक हेक्टेयर में कितना डोडा चूरा होता है. इसकी मात्रा ही तय नहीं है। किसान शपथ-पत्र में जितना भरते हैं, उतना मान लेते हैं। जिन किसानों का डोडा चूरा नष्ट नहीं होता है उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन बीते 7 साल में एक के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई है। इस पूरे खेल को उजागर हैलो सरकार ने बोगस ग्राहक बनकर चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, झालावाड़, उदयपुर, कोटा, भीलवाड़ा जैसे अफीम उत्पादन के 7 जिलों के लोगों से संपर्क किया तो इस बात का खुलासा हुआ। बोगस ग्राहक को किसानों ने डोडा चूरा नष्ट करने का गणित भी समझाया।



4 हजार हेक्टेयर में होती है अफीम की खेती

आपको बता दे, राजस्थान प्रदेश में हर साल 4 हजार हेक्टेयर में अफीम की खेती होती है। एक हेक्टेयर में 8 क्विंटल के हिसाब से 32 हजार क्विंटल डोडा चूरा निकलता है। अफीम सीजन 2017-18 से 2023-24 तक के 7 साल में सवा दो लाख क्विंटल डोडा चूरा हो चुका है, लेकिन कागजों में नष्ट 427 क्विंटल ही हुआ। उनसे पूरा माल तस्कर ले गए। इस प्रकार राजस्थान सरकार क आबकारी विभाग की न केवल नाकामी साबित होती है अपितु भ्रष्टाचार का एक बहुत बड़ा रैकेट का खुलासा भी होता है।

3000 रुपये प्रति किलो की दर से कमाते है तस्कर

यह कहना गलत ना होगा कि राजस्थान प्रदेश में करीब 1000 करोड़ रुपए का काला कारोबार डोडा चूरा के काले धंधे से हो रहा है। मौटे तौर पर  तस्कर 2 हजार रुपए किलो में खरीदते हैं और 5 हजार में बेचते हैं। हर साल 32 हजार क्विंटल डोडा चूरा बिकता है, तस्करों का नेटवर्क करीब 1000 करोड़ रुपए का है। इस प्रकार 3000 रुपये प्रति किलो की दर से कमाते है।