रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मनाया गया स्थापना दिवस की वर्षगांठ पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड ने समाज की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत सीआईएल आशीष (आयुष्मान शिक्षा सहायता) योजना शुरू की।
इस अवसर पर आशीष योजना के तहत 1645 ऐसे बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया और अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने में असमर्थ हैं। कोल इंडिया लिमिटेड ने अनुकंपा नियुक्ति के तहत 424 लाभार्थियों को नियुक्ति पत्र भी जारी किए, जिन्होंने कंपनी में काम के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था। ये अनुकंपा नौकरियां संकट के समय परिवारों को मदद करेंगी।
शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों को ये छात्रवृत्तियां और नियुक्ति पत्र वितरित किए गए। सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, 29 जुलाई से 3 अगस्त, 2024 के दौरान मामलों के निपटारे के लिए लोक अदालत आयोजित करने की एक अनूठी पहल मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई। यह कार्यक्रम विशेष लोक अदालत के समापन समारोह के दौरान आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में कौन-कौन लोग हुए थे शामिल
विशेष कार्यक्रम के दौरान मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल ने 25 बच्चों को छात्रवृत्ति के लिए डमी चेक सौंपे और 10 महिला आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति पत्र दिए गए। इस कार्यक्रम में न्यायाधीश, रजिस्ट्री के अधिकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायालय के अधिकारी, अधिवक्ता, कोयला मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि, सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन ने भाग लिया।
सीआईएल आशीष (एएसएचआईएस) योजना के तहत, पात्र बच्चों को चार साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष प्रत्येक बच्चे को 45,000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें। इन बच्चों की पहचान विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई है। कार्यक्रम के दौरान समाज की सेवा में कोल इंडिया लिमिटेड के योगदान की अत्यधिक सराहना की गई।