संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री ने किया मीडिया को संबोधित

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मीनेष चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले मीडिया को एक बयान दिया है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इस तथ्य पर गर्व व्यक्त किया कि 60 वर्ष के अंतराल के बाद कोई सरकार लगातार तीसरी बार आई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरी बार सत्ता में आई सरकार द्वारा बजट पेश करने के कार्य को देश एक गौरवशाली घटना के रूप में देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बजट अमृत काल के मील के पत्थर का बजट है और सरकार एक निर्धारित अवधि में दी गई गारंटियों को वास्तविक रूप से साकार करने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बजट मौजूदा सरकार के अगले पांच वर्षों की दिशा निर्धारित करते हुए वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने की मजबूत नींव रखेगा।”


गारंटियों को वास्तविक रूप से साकार करने के लिए कार्य कर रही है सरकार:—
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले लगातार तीन वर्षों में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला देश है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण, निवेश और कार्य प्रदर्शन के कारण आज देश में उपलब्ध अवसर चरम पर हैं।


सभी लड़ाइयां लड़ी जा चुकी हैं सभी दल मिलकर काम करें – मोदी
यह देखते हुए कि अब राजनीतिक दलों के बीच सभी लड़ाइयां लड़ी जा चुकी हैं और नागरिकों ने लोकसभा चुनाव के समापन के बाद सरकार चुनी है, प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से एक साथ आकर अगले 5 वर्षों के दौरान देश के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपने संगठनों से ऊपर उठने और अगले साढ़े चार वर्षों के लिए संसद के गरिमामय मंच का उपयोग करके राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जनवरी 2029 में चुनाव की रणभूमि में अवश्य जाएं पर तब तक आपकी एकमात्र प्राथमिकता देश, इसके गरीब, किसान, महिलाएं और युवा होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में विकसित भारत के सपनों और संकल्पों को साकार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर दु:ख व्यक्त किया कि कुछ राजनीतिक दलों के नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण कई सांसदों को अपने विचार और अपने निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों को सामने रखने का कोई अवसर नहीं मिला है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि वे सभी सदस्यों, खासकर पहली बार चुनकर आए सदस्यों को अपने विचार रखने का अवसर दें। श्री मोदी ने लोगों को निर्वाचित सरकार और संसद में प्रधानमंत्री के भाषण पर अंकुश लगाने के बारे में याद दिलाया। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं में इसका कोई स्थान नहीं है।


भारत के 140 करोड़ नागरिकों की सेवा :—
प्रधानमंत्री ने सांसदों को स्मरण कराया कि देश की जनता ने राजनीतिक दलों के एजेंडों के लिए नहीं बल्कि देश की सेवा के लिए अपना जनादेश दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सदन राजनीतिक दलों के लिए नहीं है, बल्कि यह सदन देश के लिए है। यह सांसदों की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ नागरिकों की सेवा के लिए है। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह विश्वास व्यक्त किया कि सभी संसद सदस्य सार्थक चर्चा में अपना योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि देश को सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है ताकि इसे आगे ले जाया जा सके। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले विचार बुरे नहीं होते, बल्कि नकारात्मक विचार ही विकास में बाधा डालते हैं। उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर का उपयोग आम नागरिकों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।