चार्जशीट से खुलासा : एस.ओ.जी. की मेहरबानी से बच गया पूर्व आरपीएससी अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय

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मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


जयपुर। एसआई पेपर लीक मामले की चार्जशीट को देखने पर यह बात प्रथमदृष्टया प्रमाणित हो रही है कि एसओजी ने जानबूझकर आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय को बचाया है। आपको याद होगा सबसे पहले डॉक्टर किरोडी लाल मीणा इस बात का खुलासा किया था कि पेपर लीक के मामले में बड़े-बड़े मगरमच्छ शामिल है।

आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष संजय


एसओजी ने अपनी रिपोर्ट में माना, संजय श्रोत्रिय के कार्यकाल में हुई थी गड़बड़ियां
गौर तलब है कि एसओजी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि आरपीएससी के पूर्व मेंबर रामूराम राईका ने बेटे-बेटी को एसआई भर्ती में कैसे पास कराया और इंटरव्यू में उन्हें अच्छे नंबर कैसे मिले, ऐसे कई सवालों के जवाब एसओजी की चार्जशीट में हैं। रिपोर्ट के अनुसार रामूराम राईका ने हर स्तर पर सांठगांठ की थी। दोनों अभ्यर्थी इतने नंबर डिजर्व ही नहीं करते थे। इससे पहले इन्होंने जितनी भी परीक्षाएं दी, उनमें इनका कभी सिलेक्शन नहीं हुआ। इस चार्जशीट में पूर्व चेयरमैन संजय श्रोत्रिय का नाम आने से उनके कार्यकाल में हुईं कई परीक्षाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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सबसे पहले डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा उठाया था पेपर लीक का मुद्दा
आपको बता दे कि आरपीएससी की भर्ती प्रकिया में चल रही सांठगांठ और मिलीभगत को लेकर मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी आरपीएससी के 3 पूर्व चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इसी साल जुलाई में उन्होंने एसओजी ऑफिस पहुंचकर पेपर लीक और भर्ती प्रक्रिया से जुड़े सबूत पुलिस अधिकारियों को सौंपे थे। किरोड़ीलाल मीणा ने दो महीने पहले ही आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन दीपक उप्रेती, शिव सिंह राठौड़ और संजय श्रोत्रिय के कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच कराने की मांग को लेकर सीएमओ पहुंचे थे। इस संबंध में उन्होंने पत्र भी लिखा था।


आरपीएससी का अध्यक्ष ही करता है इंटरव्यू बोर्ड का चयन
एसओजी की चार्जशीट के अनुसार, ‘रामूराम राईका अपने बेटे और बेटी को इंटरव्यू में अच्छे नंबर दिलाना चाहता था। इसके लिए उसने आरपीएससी के सभी सदस्यों से इंटरव्यू में पास कराने की रिक्वेस्ट की। बाबूलाल कटारा के कहने पर वह चेयरमैन संजय श्रोत्रिय से मिला। क्योंकि अभ्यर्थियों के इंटरव्यू बोर्ड का चयन आरपीएससी चेयरमैन ही करते हैं। …. चार्जशीट के अनुसार इस मामले में संजय श्रोत्रिय ने रामूराम राईका को जवाब देते हुए कहा- देखते हैं।
रामूराम राईका के बेटे देवेश राईका के इंटरव्यू से पहले 3 दिन की छुट्टी थी। इस पर रामूराम राईका तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय से उनके सरकारी आवास पर मिला। संजय श्रोत्रिय ने देवेश को अपने बोर्ड में ले लिया। इंटरव्यू में उसके 28 नंबर आए। इसके साथ ही रामूराम राईका ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा और संगीता आर्य से मिलने और जसवंत राठी से फोन पर इस संबंध में बात करना स्वीकार किया है।


संजय श्रोत्रिय को क्लीन चिट नहीं, एसओजी बचा रही- एडवोकेट एके जैन
चार्जशीट को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील एके जैन का कहना है, ‘चार्जशीट लंबे अनुसंधान के बाद दाखिल की गई है। चार्जशीट में संजय श्रोत्रिय का नाम ये बताता है कि एसओजी के अधिकारियों को शुरुआती जांच में ही उनके बारे में जानकारी मिल गई थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसा लगता है कि एसओजी को मजबूरी में संजय श्रोत्रिय का नाम लिखना पड़ा है, नहीं तो बाबूलाल कटारा और रामूराम राईका भी एसओजी की गिरफ्त से बाहर हो जाते।’ उन्होंने कहा, ‘आरपीएससी के पुराने रिकॉर्ड के अनुसार भर्ती परीक्षा की गोपनीयता बनाए रखने, कमेटी बनाने, पेपर सेट तैयार कराने और बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी आरपीएससी के चेयरमैन की ही होती है। यहां एसओजी की चार्जशीट में तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय की भूमिका सामने आ रही है। उन्होंने शोभा राईका के लिए बाबूलाल कटारा के बोर्ड का चयन किया और बेटे देवेश का अपने बोर्ड में इंटरव्यू लिया। इसके बावजूद एसओजी उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है।’
एडवोकेट जैन ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि एसओजी के अधिकारी अपना रिश्ता निभाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि तत्कालीन चेयरमैन भी पहले पुलिस अधिकारी रहे थे। क्या यही कारण है कि संजय श्रोत्रिय जांच से बचे रहे? इस मामले में एसओजी दोहरी कार्यप्रणाली अपना रही है। प्रदेश के एक मंत्री (किरोड़ीलाल मीणा) भी पहले ही एसओजी के इंस्पेक्टर पर खुलेआम गंभीर आरोप लगा चुके हैं।


भारतीय संविधान के अनुसार आरपीएससी की साख बचाने के लिए सभी से हो पूछताछ
आरपीएससी के पूर्व मेंबर भी इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। पूर्व मेंबर रहे प्रोफेसर पीके दशोरा का कहना है कि भर्ती परीक्षा के आयोजन से जुड़े हर व्यक्ति से पूछताछ की जानी चाहिए। जांच एजेंसी की पूछताछ से न किसी को बचना चाहिए और न ही किसी को बचाना चाहिए। इस भर्ती परीक्षा से जुड़े योग्य अभ्यर्थियों और बेरोजगार युवकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए ये जरूरी है। एसओजी की चार्जशीट में जब आरपीएससी के मेंबर और चेयरमैन का जिक्र है। चेयरमैन से मिलने के बाद जिस तरह से इंटरव्यू बोर्ड का चयन हुआ है, उसको देखते हुए एसओजी को इस संबंध में सभी से पूछताछ करनी चाहिए। क्योंकि ये आरपीएससी की साख बनाए रखने का सवाल है।

चार्जशीट में उल्लेख


ऐसा हुआ था पेपर लीक का गड़बड़ घोटाला
जांच एजेंसी एसओजी के अनुसार बाबूलाल कटारा ने भर्ती परीक्षा के तीन-तीन सेट तैयार होने के बाद उन्हें अपने ऑफिस के रेस्ट रूम में रखी अलमारी में रखा। सभी छह पेपर व उत्तर कुंजी अगस्त 2021 के दूसरे सप्ताह में रामूराम राईका को उपलब्ध कराए। रामूराम अपने मोबाइल से इनके फोटो खींचकर घर ले गया। रामूराम ने घर पर अपने बेटे देवेश व शोभा को रजिस्टर में हाथ से प्रश्न और उत्तर लिखवाए। इसके बाद फोटो डिलीट कर मोबाइल नष्ट कर दिया।
एसओजी के अनुसार बाबूलाल ने पेपर प्रिंटिंग प्रेस में जाने से एक महीने पहले ही रामूराम को उपलब्ध करा दिए थे। जिसके कारण एसआई भर्ती परीक्षा की गोपनीयता ही नहीं रही। इसके बाद बाबूलाल ने पेपर के सभी सेट 13 अगस्त 2021 को चेयरमैन संजय श्रोत्रिय को सील बंद लिफाफे में सौंप दिए।


बिना आदेश बाबूलाल कटारा को सौंपे गए पेपर के सेट
एसओजी ने अपनी चार्जशीट में यह भी बताया है कि एसआई भर्ती परीक्षा पहले एक दिन में ही आयोजित होनी थी। उस समय बाबूलाल कटारा ने विषय विशेषज्ञों से 4 सेट तैयार करवाकर अपने पास रख लिए थे। बाद में भर्ती परीक्षा को तीन दिन में कराए जाने पर तत्कालीन चेयरमैन भूपेंद्र सिंह ने बाबूलाल कटारा को आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा से दोनों पेपर के एक-एक सेट लेने को कहा।
बाबूलाल कटारा को हिंदी का प्रश्न पत्र आरपीएससी सदस्या मंजू शर्मा के कोऑर्डिनेटर पुखराज दाधीच से मिला और सामान्य ज्ञान का पेपर गोपनीय शाखा के उप सचिव चनणाराम सोलंकी ने दिया। एसओजी ने अपनी चार्जशीट में लिखा, ‘इस संबंध में मंजू शर्मा, पुखराज दाधीच और चनणाराम सोलंकी से पूछताछ की तो इन्होंने किसी तरह के लिखित आदेश व रिकॉर्ड नहीं होने की बात कही।
आरपीएससी और तत्कालीन चेयरमैन भूपेंद्र सिंह से भी ये जानकारी मांगी गई, लेकिन कोई सूचना नहीं मिलने पर एसओजी ने चार्जशीट में भी माना कि अभी तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हुई है।’
आरपीएससी में ऐसे हुआ भर्ती परीक्षा का कार्य
एसओजी ने अपनी चार्जशीट में आरपीएससी की कार्य प्रणाली के बारे में भी बताया है। इसके अनुसार, राज्य सरकार द्वारा किसी प्रतियोगी परीक्षा से भर्ती करने का निर्णय होने पर आरपीएससी उस प्रतियोगी परीक्षा का विज्ञापन निकालती है। इसके बाद आरपीएससी के चेयरमैन भर्ती परीक्षा के गोपनीय कार्यो का सदस्यों को बंटवारा करते हैं। एसआई भर्ती परीक्षा 2021 के गोपनीय कार्य प्रश्न पत्र के संपादन का कार्य बाबूलाल कटारा को 16 मार्च 2021 दिया गया। इस पर बाबूलाल कटारा ने विषय विशेषज्ञों की सूची का चयन कर इसे अप्रूव करा लिया।
इसके बाद परीक्षा शाखा ने सम्पूर्ण परीक्षा सामग्री का एक लिफाफा बाबूलाल कटारा को दिया। विषय विशेषज्ञों को यह नहीं बताया गया कि प्रश्न किस परीक्षा से संबंधित हैं। एसओजी ने चार्जशीट में कहा कि एसआई भर्ती परीक्षा में जिन विषय विशेषज्ञों की सेवाएं ली गई, उनके नामों का खुलासा आरपीएससी की गोपनीय नीति के कारण नहीं किया जा सकता।
कोर्ट में देनी होगी एसओजी को अपनी सफाई
इस मामले में पूर्व चेयरमैन पर क्या आरोप हैं? अब तक उनसे पूछताछ नहीं होना क्या क्लीन चिट मिलना है? ऐसे बहुत से सवाल इस बात की और इशारा करते हैं कि आखिर कर जांच अधिकारियों ने अब तक भी आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय से पूछताछ क्यों नहीं की। इन सभी सवालों के जवाब जांच एजेंसी को कोर्ट की ट्रायल के समय देने होंगे।
हालांकि अभी जांच जारी है अब देखना होगा कि क्या जांच एजेंसी आरपीएससी के पूर्व अध्यक्षों को अपराधी मानती है या नहीं। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल, जांच रिपोर्ट से ही बात स्पष्ट हो जाती है कि जांच एजेंसी बड़े-बड़े मगरमच्छों को बचाने का प्रयास कर रही है।

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