भ्रष्टाचार से टक्कर नहीं ले सका प्राधिकरण : अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल

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मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


जयपुर। राजस्थान की राजधानी की नाक के नीचे भ्रष्टाचार का तांडव देखकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल काफी हैरान एवं परेशान नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने राजधानी के आसपास कानोता-बस्सी इलाके में चल रहे ईंटों भट्टों के अवैध तरीके से संचालन को लेकर स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर नाराजगी जताई है। एनजीटी ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी लापरवाह, बेईमान हैं, इन पर कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि पर्यावरण नियमों की पालना करवाने में स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड असक्षम नजर आ रहा है। ट्रिब्यूनल ने यह आदेश ईंट भट्टों का अवैध संचालन को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।


काबिले गौर है कि राजधानी से 20 किमी दूर आगरा रोड कानोता, बस्सी, नायला इलाके में पर्यावरण नियमों की पालना किए बगैर सैकड़ों की संख्या में अवैध ईंट भट्टे चल रहे हैं। इन अवैध भट्टों को देखकर एनजीटी ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने तक की आदेश करने पड़े।


अवैध भट्टों पर कार्रवाई ही नहीं कर रहा है बोर्ड :-
कानोता-बस्सी इलाके में चल रहे 10 ईंट भट्टा इकाइयों को ही राज्य बोर्ड से कन्सेंट मिली हुई है, जबकि 80 ईंट भट्टे अवैध संचलित हो रहे हैं। एनजीटी ने आदेश में कहा कि रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि राज्य पीसीबी राजस्थान पर्यावरण नियमों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है। ईट भट्टों की अवैध गतिविधियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं और नियमानुसार कार्रवाई नहीं कर रहे। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने राज्य पीसीबी को साइट का दौरा करने और जून, 2024 से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिए थे। अवैध ईंट भट्टा संचालन में क्षेत्रीय अधिकारियों की लापरवाही में सामने आ रही है, जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गंभीर माना है।


धड़ल्ले से चल रहे हैं कृषि भूमि पर ईंट भट्टे :-
याचिकाकर्ता ने ट्रिब्यूनल में दायर याचिका में कहा है कि बस्सी तहसील के क्लस्टर में ईंट भट्टों का बिना वैध अनुमति और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय के बिना चल रहे हैं। इससे पॉल्यूशन के साथ स्वास्थ्य संबंधी खतरा हो रहे हैं। स्वयं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में बताया कि क्षेत्र में 117 ईट भट्टे स्थापित है, इनमें से 27 ईंट भट्टे बंद हैं और 90 ईंट भट्टे चालू हालत में हैं। इनमें से केवल 5 ईंट भट्टों के उपयोग हेतु भूमि रूपांतरण करने के बाद संचालन किया जा रहा है, शेष 85 भट्टें बिना उचित भूमि रूपांतरण के कृषि भूमि पर स्थापित हैं। बिना भूमि का रूपांतरण किए ईंट भट्टों का संचालन भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा को प्रदर्शित करता है।


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव को दिए निर्देश :-
याचिका करता की याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान सरकार मुख्य सचिव को एक स्वतंत्र टीम गठित कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। आदेश के अनुसार एनजीटी ने मुख्य सचिव, पीसीबी सदस्य सचिव, आरएसपीसीबी को बाहरी अधिकारियों की एक अलग स्वतंत्र टीम गठित करने का निर्देश दिए हैं। यह टीम मौजूदा ईट भट्टों का निरीक्षण कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी। इसके अलावा पर्यावरणीय मुआवजे का आकलन कर वसूल कर कार्रवाई की रिपोर्ट दो महीने में पेश करने के आदेश दिए। इस मामले में क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा रिपोर्ट पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्षेत्रीय अधिकारियों को लापरवाह बताया। यह अधिकारी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी, निष्पक्षता और ईमानदारी से पालन नहीं कर रहे हैं। इन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सरकारी राजकोष को भारी नुकसान पहुंचा है इसलिए ऐसा अधिकारियों के खिलाफ विभाग के कार्रवाई होना अति आवश्यक है।


बस्सी-कानोता क्षेत्र का राजस्व भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा :-
अब देखना होगा कि क्या राजस्थान सरकार भ्रष्ट एवं दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है या नहीं। यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। बहरहाल, ईंट भट्टों को लेकर बस्सी-कानोता क्षेत्र का राजस्व भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा हुआ है।

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