मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
ग्वालियर। भारत देश की पहली गौशाला जिसमें सीएनजी गैस का उत्पादन शुरू हो गया है। सीएनजी गैस का उत्पादन शुरू होने से न केवल बेरोजगारी मिटेगी अपितु अपशिष्ट पदार्थों का सदुपयोग हो जाएगा।
गौशाला में 10,000 से अधिक मवेशी :-
जी हां, हम बात कर रहे हैं ग्वालियर के लालटिपारा में स्थित आदर्श गौशाला सीबीजी संयंत्र वाली देश की सबसे बड़ी गौशाला की। ग्वालियर नगर निगम द्वारा संचालित इस गौशाला में 10,000 से अधिक मवेशी रहते हैं। आदर्श गौशाला अत्याधुनिक कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र वाली भारत की पहली आधुनिक, आत्मनिर्भर गौशाला है। यह मध्य प्रदेश का पहला सीबीजी संयंत्र है जिसमें घरों से मवेशियों के एकत्र किए गए गोबर तथा मंडियों में सब्जी और फलों के अपशिष्ट पदार्थों से बायोगैस तैयार की जाएगी।
31 करोड़ रुपये की लागत से विकसित हुआ है प्लांट :-
जिला प्रशासन के अनुसार 5 एकड़ में फैली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सहयोग से 31 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। गौशाला में लगाया गया यह सीबीजी संयंत्र गाय के गोबर को बायो सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) और जैविक खाद में बदल देता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए स्थायी विधियों को बढ़ावा मिलता है। यह संयंत्र 100 टन गोबर से रोजाना दो टन संपीड़ित बायोगैस उत्पन्न करेगा। इसके अतिरिक्त, यह रोजाना 10-15 टन सूखी जैविक खाद का उत्पादन करता है, जो जैविक खेती के लिए एक मूल्यवान उपोत्पाद है। तकनीकी रूप से उन्नत इस संयंत्र को दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी डिज़ाइन किया गया है। इस परियोजना में मुख्य संयंत्र के पास स्थित विंडरो कम्पोस्टिंग आगे की जैविक अपशिष्ट प्रक्रिया में मदद करेगी।
रोज हो रहा है 2-3 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन :-
लालटिपारा गौशाला का यह सीबीजी संयंत्र समाज और सरकार के बीच सफल सहयोग का एक मॉडल और सतत विकास का विश्व स्तरीय मानदंड है। यह संयंत्र प्रतिदिन 2-3 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन करता है, जो जीवाश्म ईंधन के लिए एक स्वच्छ, पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करता है और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोज़गार :-
ऊर्जा के लिए गाय के गोबर का उपयोग कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह पहल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसरो और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है। यह हरित ऊर्जा और टिकाऊ विधियों में कौशल को भी बढ़ावा देती है। स्थानीय किसानों को इस परियोजना से सीधे लाभ मिलेगा। जैविक खाद आसानी से किफायती दामों पर उपलब्ध होने के कारण, आस-पास के जिलों के किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
लालटिपारा गौशाला सीबीजी संयंत्र सिर्फ़ एक औद्योगिक सुविधा से कहीं अधिक है। यह स्थिरता के लिए एक ऐसे समग्र दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है जो पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी को आर्थिक और सामाजिक लाभों के साथ संतुलित करता है। भारत की यह पहली आत्मनिर्भर गौशाला अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण :-
देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला ग्वालियर में बनकर शुभारंभ के लिए तैयार है। इस गौ-शाला में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में बायो सीएनजी प्लांट स्थापित हो गया है। इस प्लांट के संचालन के लिए 100 टन गोबर का उपयोग कर प्रतिदिन 3 टन तक सीएनजी और सर्वोत्तम गुणवत्ता का जैविक खाद 20 टन मिलेगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन प्लांट के संचालन एवं संधारण में भी सहयोग करेगा। यह गौशाला इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से 32 करोड़ रूपये की लागत से बनी है। भविष्य में विस्तार की संभावना को रखते हुए एक हेक्टेयर की भूमि आरक्षित रखी गई है। गौशाला को और विस्तार देने सांसद निधि से 2 हजार गायों के लिये आधुनिक शेड निर्माण के लिए 2 करोड़ रूपये की राशि दी गई है।