राजस्थान से निर्विरोध राज्यसभा सांसद बने रवनीत सिंह बिट्टू

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मीनेष चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। मंगलवार को केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू राजस्थान से राज्यसभा सांसद निर्वाचित हो गए हैं। राज्यसभा की एक सीट पर हुए उपचुनाव में बिट्टू को निर्विरोध चुना गया। भाजपा ने रवनीत सिंह बिट्टू को राजस्थान से प्रत्याशी बनाया था। बिट्टू पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं।


एडवोकेट योगेंद्र सिंह तंवर ने प्राप्त किया निर्वाचन प्रमाण-पत्र :-
राजस्थान विधानसभा में वोटों के गणित के अनुसार उनकी जीत पहले से तय मानी जा रही थी। ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव में अपना प्रत्याशी ही मैदान में नहीं उतारा था। आज नामांकन वापसी का अंतिम दिन था। चुनाव में बिट्टू के अलावा कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं था। ऐसे में निर्वाचन अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा ने बिट्टू के निर्विरोध निर्वाचित होने की घोषणा कर दी। निर्वाचन अधिकारी ने रवनीत सिंह बिट्टू की ओर से अधिकृत योगेंद्र सिंह तंवर को उनके निर्वाचन का प्रमाण-पत्र सौंप दिया।

निर्वाचन अधिकारी ने रवनीत सिंह बिट्टू की ओर से अधिकृत योगेंद्र सिंह तंवर को सौंपा निर्वाचन का प्रमाण-पत्र


कांग्रेस के पास मात्र 66 विधायक, इसलिए नहीं भरा नामांकन :-
गौरतलब है कि चुनाव के लिए तीन नामांकन पत्र आए थे। कांग्रेस की ओर से उप चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने के बाद नामांकन पत्र दाखिल करने वाले 3 उम्मीदवार ही बचे थे। बीजेपी के डमी प्रत्याशी सुनील कोठारी ने शुक्रवार को अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार बबीता वाधवानी का भी नामांकन पत्र था, इसे जांच के बाद रद्द कर दिया गया था। इसके बाद रवनीत सिंह बिट्टू ही मैदान में बचे थे। ऐसे में आज निवार्चन अधिकारी ने बिट्टू की निर्विरोध जीत की घोषणा कर दी। जीत के लिए 98 विधायकों के वोट चाहिए था, कांग्रेस के पास मात्र 66 विधायक ही रह गए थे।
ऐसे होता है राज्यसभा सांसद का चुनाव :-
आपको बता दें, राज्यसभा के सदस्यों को विधायक चुनते हैं। राज्यसभा के चुनाव में अपनाए जाने वाले फॉर्मूले के हिसाब से जितनी सीटें खाली होती हैं, उसमें एक जोड़कर जितनी विधानसभा सीटें होती हैं, उसमें भाग दिया जाता है। भाग के परिणाम में एक जोड़ा जाता है। इससे जो रिजल्ट आता है, उतने वोट एक सीट पर जरूरी होते हैं। राजस्थान में 1 सीट पर चुनाव होगा। इसमें 1 जोड़ेंगे तो 2 होंगे।
संख्या बल के हिसाब से बीजेपी की जीत निश्चित :-
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन 6 सीटें खाली हैं। ऐसे में 194 में 2 का भाग देकर रिजल्ट में 1 जोड़ेंगे तो संख्या 98 आएगी। इस तरह राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 98 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 114 विधायक, जबकि कांग्रेस के पास मात्र 66 विधायक हैं। संख्या बल के हिसाब से बीजेपी की जीत तय थी।
21 अगस्त को भरा था विधानसभा में नामांकन :-
भारतीय जनता पार्टी की ओर से रवनीत सिंह बिट्टू ने 21 अगस्त को विधानसभा में नामांकन भरा था। नामांकन के बाद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा था कि राजस्थान का यह कर्ज मेरे ऊपर रहेगा। मैं राजस्थान और पंजाब की पगड़ी पर कभी कोई दाग नहीं लगने दूंगा। उन्होंने कहा था कि राजस्थान से दूसरी पार्टियों ने प्रत्याशी खड़ा नहीं किया, यह बीजेपी की बहुत बड़ी जीत है। पंजाब मेरी जन्मभूमि और कर्म भूमि दोनों रही हैं और राजस्थान भी मेरी कर्म भूमि हो गई है। अब मैं राजस्थान का कर्जदार बन गया।


मेरे पास जो भी मंत्रालय हैं उसका पूरा फायदा मिलेगा राजस्थान को :-
नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि मेरे पास जो भी मंत्रालय हैं, उनमें राजस्थान के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। राजस्थान में बड़ी मात्रा में फसलों की पैदावार होती है। उन फसलों की ब्रांडिंग करना, उनकी प्रोसेसिंग करना मेरे मंत्रालय के जिम्मे हैं। ऐसे में मंत्रालय की जो भी योजनाएं हैं, उनका लाभ राजस्थान के छोटे शहरों और गांव-गांव तक पहुंचाने का काम हम शुरू करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और पूर्व मंत्री तेज प्रकाश सिंह के बेटे हैं रवनीत बिट्टू :-
मजे की बात यह है कि लुधियाना से 2 बार सांसद रह चुके रवनीत बिट्टू लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते और पूर्व मंत्री तेज प्रकाश सिंह के बेटे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें लुधियाना से टिकट दिया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से 20 हजार 942 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
हार के बाद भी भाजपा ने बनाया केंद्रीय मंत्री :-
2024 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद भी भाजपा ने पंजाब से किसी और को न चुनकर मोदी 3.0 सरकार में बिट्टू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया। इसके बाद उनका राज्यसभा में जाकर सांसद के तौर पर शपथ लेना बेहद जरूरी था। अब देखना होगा कि क्या वास्तव में राजस्थान प्रदेश का कितना भला होता है ? यह तो आने वाला समय बताएगा।

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