‘ संविधान हत्या दिवस ‘ 25 जून को, नोटिफिकेशन जारी

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लेखक - कजोड़ मल मीना
लेखक – कजोड़ मल मीना


जब भारत में साक्षरता दर कम थी, उस समय हमारा देश विकसित राष्ट्र की मंजिल से कोसों दूर था। यदि उस वक्त ” संविधान की हत्या का दिवस ” मनाया गया होता तो वह बात लोगों के गले उतरती। मगर जब हाल ही के आम चुनावों में इंडिया गठबंधन द्वारा ‘ संविधान बचाने ‘ जैसा नारा देने के फलस्वरूप एनडीए का प्रमुख घटक भाजपा का ‘ अबकी बार, 400 पार ‘ के नारे की उल्टी गिनती शुरू होने के प्रतिशोध से प्रेरित होकर भाजपानीत केंद्रीय सरकार द्वारा आने वाले 25 जून से ‘संविधान हत्या दिवस’ की घोषणा वाली बात भारत के 141 करोड़ भारतवासियों के गले नहीं उतर रही हैं।
गौरतलब है कि 25 जून 1975 को तत्कालीन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात से ठीक पहले इमरजेंसी का ऐलान किया था। इमरजेंसी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे कई दिग्गज नेता अरेस्ट हो गए थे। 1976 में दिल्ली के दुजाना हाउस फैमिली प्लानिंग क्लीनिक में नसबंदी अभियान चला था।
मजे की बात है कि लगभग 50 वर्ष बीत जाने के बाद मोदी सरकार द्वारा 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करना, लोकतंत्र के साथ घिनौना मजाक साबित हो रहा है। चूंकि सबसे बड़ा सवाल ‘संविधान हत्या दिवस’ शब्द के कारण अनेक प्रश्नों का जन्म हुआ है, जिसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
पहला सवाल ― जिस समय संविधान की हत्या हुई थी उस वक्त क्यों नहीं मनाया गया हत्या दिवस ?
दूसरा सवाल ― जब 25 जून 1975 को संविधान की हत्या हो गई थी तो भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के मरणोपरांत ऐसी कौनसी व्यवस्था कायम थी जो संवैधानिक संस्थाओं को मजबूती के साथ संरक्षित कर रही थी ?
तीसरा सवाल ― शब्द ‘संविधान हत्या दिवस’ अर्थात 25 जून 1975 को संविधान की हत्या हो जाने के बाद भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं में सर्वोच्च पद पाने वाले संविधान में वर्णित पद एवं गोपनीयता की शपथ क्यों दिलाई गई या क्यों ली गई ? क्योंकि शपथ हमेशा शाश्वत की होती हैं, मरे हुए की कभी भी शपथ नहीं हो सकती।
चौथा सवाल ― जब संविधान की हत्या हो गई अर्थात संविधान मर गया तो संविधान में वर्णित पद भी खत्म हो गए, किस आधार पर संवैधानिक पदों पर पदासीन होकर बैठे हैं ?
पाचवां सवाल ― सूचना प्रोद्योगिकी का जमाना हैं, ऐसे में भारत के संविधान की हत्या का दिवस मनाने की बात विश्व पटल पर क्या मायना रखती हैं ?
छठा सवाल ― केन्द्र सरकार नोटिफिकेशन जारी करने से पहले जनमानस की रायशुमारी क्यों नहीं की गई ?
ऐसे अनगिनत सवालों के जवाब किसी के पास नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार 12 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया है। शाह ने लिखा, ’25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।’

पीएम ने इसे काला दौर बताया, कांग्रेस बोली- एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद

यह फोटो 7 जून की है। NDA के संसदीय दल की मीटिंग के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पुराने संसद भवन में रखे गए संविधान को नमन किया। जबकि इससे पहले कभी नरेन्द्र मोदी ने ऐसा नहीं किया। इससे यह बात तो साफ हो गई


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ’25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और भारत के संविधान को कैसे कुचला गया था। ये भारत के इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया एक काला दौर था।’
उधर, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘यह नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद है, जिसने दस साल तक अघोषित आपातकाल लगाया था। उसके बाद भारत के लोगों ने उसे 4 जून, 2024 को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार दी- जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा।’


केंद्र का नोटिफिकेशन…


आखिर भाजपा को ऐसा कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ी
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा ने 400 पार का नारा दिया था। इसके बाद भाजपा के कई नेताओं ने कहा था कि 400 सीटें इसलिए चाहिए, क्योंकि संविधान बदलना है। इनमें BJP नेता अंनत हेगड़े, लल्लू सिंह और अरुण गोविल शामिल थे। इसके बाद विपक्ष ने मुद्दा बनाते हुए कहा था कि अगर भाजपा सरकार में आई तो संविधान बदल देगी। इसके बाद PM मोदी को सफाई देनी पड़ी थी।
मोदी ने अप्रैल 2024 को सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि उन्हें 400 सीटें क्यों चाहिए। पीएम मोदी ने सागर की सभा में कहा था कि कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने कर्नाटक में धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया। वह यही फॉर्मूला पूरे देश में लागू करना चाहती है। दलित, आदिवासी, ओबीसी के आरक्षण चोरी करने का बंद करने के लिए मोदी को 400 पार चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे दलित, आदिवासी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा करनी है।
इसके बाद विपक्ष ने भाजपा पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया। कहा कि अगर भाजपा सरकार में आई तो वह संविधान बदल देगी। जानकार कहते हैं कि इससे भाजपा को महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में नुकसान हुआ। विपक्ष ने हाल के संसद सत्र में संविधान को लेकर हर दिन प्रदर्शन किया। संविधान बचाओं का नारा दिया। राहुल, अखिलेश समेत विपक्ष के ज्यादातर सांसदों ने संविधान की कॉपी को लेकर शपथ ली।

राहुल ने 25 जून को लोकसभा में संविधान की कॉपी लेकर सांसद की शपथ ली थी।



एक्सपर्ट बोले- दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक, चुनाव से पहले संविधान को लेकर जिस तरह की लामबंदी हुई, उससे विपक्ष को फायदा हुआ है। विपक्ष ने इस बात को प्रचारित किया कि सरकार 400 सीटें लाकर संविधान और आरक्षण से छेड़छाड़ करने जा रही है। इससे बीजेपी थोड़ी असहज हो गई। उसी को काउंटर करने के लिए सरकार ने संविधान हत्या दिवस का ऐलान कर दिया। ताकि ऐसी पार्टियां और नेता, जो कभी इमरजेंसी की ज्यादतियों का शिकार हुए, वो कांग्रेस का साथ देने में असहज हो जाएं। किदवई कहते हैं कि आपातकाल बुरा था, तो संविधान से आपातकाल के प्रावधान को ही निकाल देना चाहिए। सिर्फ दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला। संविधान की मंशा के खिलाफ तो आज भी तमाम काम हो रहे हैं।
एक तरफ जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना करते हैं। आपातकाल के दौरान उन्हें भी जेल जाने का मौका मिला। इससे परिवार वालों को भी परेशानी हुई थी।’
दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘पिछले 10 सालों में इस सरकार ने हर दिन संविधान हत्या दिवस ही तो मनाया है। आपने देश के हर गरीब और वंचित तबके से हर पल उसका आत्म सम्मान छीना है। मध्य प्रदेश में आदिवासियों के अपमान, हाथरस में दलित बेटी के जबरिया अंतिम संस्कार जैसे मुद्दे गिनाए और पूछा कि क्या यह संविधान की हत्या नहीं हुई तो और क्या है? इस सरकार के मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती है।’
उधर अखिलेश यादव ने कहा, ‘बीजेपी बताए कि वह अपने काले दिनों के लिए कौन-कौन सी तारीख को चुनेगी। 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ या फिर ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए, क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।
नोटिफिकेशन जारी होने की बात पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बोली, देश में सबसे ज्यादा इमरजेंसी तो मोदी सरकार में ही लग रही है। ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। ये सरकार स्थिर नहीं है।’
आपको बतादें, इस साल 25 जून को इमरजेंसी की 49वीं बरसी थी। इससे एक दिन पहले यानी 24 जून को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में विपक्षी सांसदों ने संविधान की कॉपी लेकर शपथ ली थी। इसे लेकर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा कि इमरजेंसी लगाने वालों को संविधान पर प्यार जताने का अधिकार नहीं है।
PM मोदी ने एक के बाद एक X पर चार पोस्ट किए। उन्होंने कहा जिस मानसिकता की वजह से इमरजेंसी लगाई गई, वह आज भी इसी पार्टी में जिंदा है। इसके जवाब में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि देश को दूसरी इमरजेंसी से बचाने के लिए जनता से इस बार वोट किया है। हमारे संविधान ने ही जनता को आने वाली एक और इमरजेंसी रोकने की याद दिलाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र के पहले दिन इमरजेंसी का जिक्र किया था संसद सत्र (24 जून से 3 जुलाई) शुरू होने से आधे घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया। 25 जून न भूलने वाला दिन है। इसी दिन संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। भारत को जेलखाना बना दिया गया था। लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था।
राजनीतिक दल अपने-अपने स्वार्थ के लिए कई तरह की अटकलबाजियां लग रही है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। शब्द ‘ संविधान हत्या दिवस ‘ लोकतंत्र की आत्मा को झगजोर करने वाला है। जिन नेताओं का नाम लेकर केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर रही है उनमें से किसी भी नेता ने ‘ संविधान हत्या दिवस ‘ 25 जून को मनाने की पुष्टि नहीं की है। यदि ऐसा हुआ होता तो अब से पहले गैर कांग्रेसी सरकारें आई और गई, लेकिन किसी भी गैर कांग्रेसी ने ‘ संविधान हत्या दिवस ‘ तो दूर सदन में निंदा प्रस्ताव भी लेकर नहीं आई, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई एवं भाजपा की दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग सरकार चला चुके हैं। बहरहाल, ‘ संविधान हत्या दिवस ‘ 25 जून मनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। अब आगे चलकर इसका क्या परिणाम सामने आयेंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।