पुलिस की जवाबदेहिता के बारे में सरकार ने किया बड़ा खुलासा

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्रीय सरकार ने तीन नए आपराधिक कानून में से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बारे में बड़ा खुलासा किया है। कानून के प्रावधानों के अनुसार पुलिस की जवाबदेहिता पूरी तरह पुख्ता कर दी गई है। अब पुलिस किसी भी मामले में आना-कानी, टालमटोल नहीं कर सकती है। यह बात लोकसभा में गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।

जनता को सूचना देने की जिम्मेदारी :-
उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के प्रावधान, जिनसे पुलिस की पारदर्शिता और जवाबदेहिता बढ़ा दी गई है। धारा 37(बी) के बारे खुलासा किया कि अब यह अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक जिले और प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक नामित पुलिस अधिकारी होगा, जो सहायक पुलिस उपनिरीक्षक के पद से नीचे का नहीं होगा। यह अधिकारी गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों आदि के विवरण के बारे में आम जनता को सूचना बनाए रखने और प्रदर्शित करने के लिए जिम्मेदार होगा।

दूसरे जिले में गिरफ्तार हुए व्यक्ति की सूचना की जिम्मेदारी :-
इसी प्रकार बीएनएसएस की धारा 82(2) में यह प्रावधान है कि जिले के बाहर निष्पादित वारंट के तहत गिरफ्तारी के मामले में, गिरफ्तारी करने वाला पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी और उस स्थान के बारे में तत्काल नामित पुलिस अधिकारी और दूसरे जिले के ऐसे पुलिस अधिकारी को जानकारी देगा, जहां गिरफ्तार व्यक्ति सामान्य रूप से रहता है।

तलाशी और जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग एवं मजिस्ट्रेट के पास भेजने की जिम्मेदारी :-
गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने बीएनएसएस की धारा 105 के बारे में बताया कि इस धारा की तहत तलाशी और जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और पुलिस अधिकारी ऐसी ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को बिना देरी किए जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजेगा। गृह राज्य मंत्री ने बीएनएसएस की धारा 185 में के बारे में लोकसभा का अवगत कराया कि तलाशी को ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रिकॉर्ड किया जाएगा और ऐसे किसी भी रिकॉर्ड की प्रतियां अपराध का संज्ञान लेने के लिए अधिकृत मजिस्ट्रेट को 48 घंटे के भीतर भेजा जाना आवश्यक होगा।

हर पखवाड़े मजिस्ट्रेट को दैनिक डायरी रिपोर्ट भेजनी होगी :-
गृह राज्य मंत्री ने उल्लेख किया कि बीएनएसएस की धारा 176(2) के अनुसार पुलिस अधिकारी को हर पखवाड़े मजिस्ट्रेट को दैनिक डायरी रिपोर्ट भेजनी होगी। ऐसे ही बीएनएसएस की धारा 176(3) के तहत सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के मामले में अपराध स्थल की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य है।

पीड़ित को जांच की प्रगति के बारे में सूचित करने की जिम्मेदारी :-
बीएनएसएस की धारा 193 के बारे में गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने सदन को अवगत कराया कि अब यह अनिवार्य किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के मामले में पुलिस रिपोर्ट में हिरासत के क्रम का विवरण भी शामिल होना चाहिए। धारा में यह भी अनिवार्य किया गया है कि पुलिस अधिकारी को जांच के 90 दिनों के भीतर मुखबिर या पीड़ित को जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना चाहिए। यह धारा आगे यह भी प्रावधान करती है कि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद, यदि आगे की जांच की आवश्यकता है, तो इसे 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए और 90 दिनों से अधिक समय अवधि का कोई भी विस्तार केवल न्यायालय की अनुमति से ही किया जाएगा।