कृषि अनुसंधान को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी : निजी क्षेत्र ही करेंगे कृषि अनुसंधान

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित कृषि भवन में “कृषि अनुसंधान में बदलाव – निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाना” विषय पर हितधारकों की परामर्श बैठक आयोजित की गई। परामर्श बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने की तथा इसका संचालन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई- डेयर) के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने किया।


देश भर से 800 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया :-
गौर तलब है कि भारत सरकार यह सत्र हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया गया। इसमें देश भर से 800 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया, जिसमें आईसीएआर संस्थानों, केंद्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, निजी क्षेत्र के संगठनों, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों, राज्य कृषि विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एफपीओ, प्रगतिशील किसान और अन्य हितधारक शामिल थे।


कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने दिया उद्घाटन भाषण :-
इस परामर्श बैठक की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई, जहां संचालक डॉ. देवेश चतुर्वेदी और डॉ. हिमांशु पाठक ने बैठक का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया और कार्रवाई के प्रमुख क्षेत्रों की रूपरेखा बताई। इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने उद्घाटन भाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने वर्तमान भारतीय कृषि परिदृश्य की जबरदस्त क्षमता और छोटे तथा सीमांत किसानों के लिए आय-सृजन के अवसरों की ओर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
यह लोग भी रहे सम्मेलन में उपस्थित :-
मुख्य भाषण में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपनी प्रगतिशील अंतर्दृष्टि रखी। वक्ताओं में डॉ एस अय्यप्पन, पूर्व सचिव, डेयर और महानिदेशक, आईसीएआर; डॉ अशोक दलवई, पूर्व सीईओ, राष्ट्रीय वर्षा क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय; प्रोफेसर सुधीर के सोपोरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व वाइस चांसलर; और डॉ त्रिलोचन महापात्रा, पादप किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष, और पूर्व सचिव, डेयर तथा आईसीएआर के महानिदेशक शामिल थे।
सत्र के दौरान दो प्रमुख क्षेत्रों पर हुई चर्चा :-
इसके बाद यह सत्र दो प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा में बदल गया। पहला कृषि में उत्पादकता और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान ढांचा की समीक्षा पर केंद्रित था। इस पर प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू), हैदराबाद के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. प्रवीण राव; कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग, ओडिशा सरकार के प्रधान सचिव डॉ. अरबिंद कुमार पाधी; फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) के महानिदेशक डॉ. राम कौंडिन्य; नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएसएआई), हैदराबाद के अध्यक्ष श्री प्रभाकर राव; और पद्मश्री पुरस्कार विजेता और हरियाणा के प्रगतिशील किसान  श्री कंवल सिंह चौहान ने बहुमूल्य जानकारी दी।


चर्चा में इन लोगों ने लिया भाग :-
चर्चा का दूसरा प्रमुख क्षेत्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी रही जिसमें कृषि अनुसंधान परिणामों को बढ़ाने के लिए ‘चुनौती मोड’ में वित्त पोषण पर जोर दिया गया। इस चर्चा को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. ए. के. सिंह; आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद, गुजरात के वाइस चांसलर डॉ. के. बी. कथीरिया; तेलंगाना राज्य बीज जैविक प्रमाणन प्राधिकरण (टीएसएसओसीए) के निदेशक और अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ (आईएसटीए) के अध्यक्ष डॉ. के. केशवुलु; एटीपीबीआर, हैदराबाद, तेलंगाना के निदेशक डॉ. सुरिंदर टिकू; एफएसआईआई के उपाध्यक्ष डॉ. राजवीर सिंह राठी; और कच्छ में माधापुर के किसान श्री मनोज भाई पुरुषोत्तम सोलंकी ने अपने-अपने विचारों से समृद्ध किया।
सिफारिशों के आधार पर रोडमैप होगा तैयार :-
इस हितधारक परामर्श बैठक में व्यावहारिक और जमीनी स्तर के मुद्दों को उजागर करने में मदद मिली, जो सार्वजनिक निजी भागीदारी को मजबूत करने और चर्चा के दो प्रमुख क्षेत्रों पर भविष्य में काम करने में सहायक होंगे। किसानों को नई तकनीकें उपलब्ध कराने के लिए सिफारिशों के आधार पर एक रोडमैप तैयार किया जाएगा। इस सत्र की सिफारिशें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के समक्ष प्रस्तुत की जाएंगी।
सत्र का समापन डेयर के अपर सचिव श्री संजय गर्ग के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने परामर्श बैठक में बहुमूल्य योगदान देने और सक्रिय भागीदारी के लिए सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
AgriSURE योजना का हुआ शुभारंभ :-
कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकास में, कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में AgriSURE योजना का शुभारंभ किया। AgriSURE – स्टार्टअप्स और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष, कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए एक अभिनव कदम है। उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाले, प्रौद्योगिकी संचालित उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, AgriSURE का उद्देश्य कृषि और ग्रामीण स्टार्टअप इकोसिस्टम में नवाचार और विकास को प्रोत्साहित करना है। यह ₹750 करोड़ का मिश्रित पूंजी कोष है जिसमें से SEBI पंजीकृत श्रेणी II, वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) में भारत सरकार का योगदान ₹250 करोड़ है, NABARD का योगदान ₹250 करोड़ है, और ₹250 करोड़ बैंकों, बीमा कंपनियों, और निजी निवेशकों से जुटाए जा रहे हैं।
एग्रीश्योर ग्रीनथॉन पुरस्कार प्रदान किए :-
कार्यक्रम में एग्रीश्योर ग्रीनथॉन पुरस्कार प्रदान किए गए, जो इनपुट के चयन से लेकर विपणन और मूल्य संवर्धन तक कृषि-मूल्य श्रृंखला के विभिन्न चरणों में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीक-केंद्रित समाधान विकसित करने वाले सबसे नवीन स्टार्ट-अप को दिए गए। ग्रीनथॉन 12 जुलाई, 2024 को मुंबई में लॉन्च किया गया था और लॉन्च से पहले 10 फाइनलिस्ट के साथ इसका ग्रैंड फिनाले आयोजित किया गया। 2000 उभरते एग्री स्टार्ट-अप में से 500 से अधिक प्रोटोटाइप की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें 10 फाइनलिस्ट ने अपने विचार प्रस्तुत किए। शीर्ष तीन स्टार्ट-अप- ग्रीन्सैपियो, कृषिकांति और एम्ब्रोनिक्स- को कुल 10 फाइनलिस्ट में से क्रमशः विजेता, उपविजेता और द्वितीय उपविजेता के रूप में चुना गया। 6 लाख रुपये की राशि वाले ग्रीनथॉन ने न केवल उत्कृष्टता को पुरस्कृत किया, बल्कि भविष्य में सहयोग के लिए हितधारकों के व्यापक नेटवर्क के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए स्टार्ट-अप्स को एक मंच भी प्रदान किया।
750 सौ करोड रुपए का फंड :-
श्री चौहान ने कहा कि AgriSURE ,  AgriSURE NIDHI का शुभारंभ हुआ है हमारा 750 सौ करोड रुपए का फंड है । प्रधानमंत्री का संकल्प है विकसित भारत और विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं हो सकता, समृद्धि किसान के बिना नहीं हो सकती और खेती में  निवेश की जरूरत है इसीलिए केवल सरकारी नहीं हमें प्राइवेट निवेश भी करना पड़ेगा । कृषि निवेश पोर्टल पर अब आपको एक ही जगह सारी जानकारी मिलेगी ।

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