मीनेष चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। भारत सरकार कृषि एवं किसानों के कल्याण के बारे में काफी संवेदनशील रहती है और वह कृषि कार्यों से संबंधित विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर लगातार कार्य कर रही है। मुख्य रूप से खेती राज्य का एक विषय है, इसलिए भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों और बजटीय सहायता के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में सहायता करती है। सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बजट आवंटन को 2013-14 के बजट अनुमान 27,662.67 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2024-25 के बजट अनुमान 1,32,469.86 करोड़ रुपये तक कर दिया है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
आय बढ़ाने में सहायता प्रदान करके किसानों के कल्याण हेतु योजनाएं :-
गौरतलब है कि सरकार द्वारा निम्नलिखित प्रयासों को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए बजटीय प्रावधानों में वृद्धि की गई है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम उत्पादन में वृद्धि, लाभकारी उपज और किसानों को आय बढ़ाने में सहायता प्रदान करके किसानों के कल्याण हेतु शुरू किये गए हैं, जिनमें शामिल हैं:-
1. पीएम किसान के माध्यम से किसानों की आमदनी में सहायता
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)
3. कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण
4. उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना
5. देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना
6. प्रति बूंद अधिक फसल
7. सूक्ष्म सिंचाई निधि
8. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देना
9. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम)
10. कृषि यांत्रीकीकरण
11. नमो ड्रोन दीदी
12. किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना
13. राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) विस्तार प्लेटफार्म की स्थापना
14. खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन – ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) का शुभारंभ
15. कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ)
16. कृषि उपज लॉजिटिक्स में सुधार, किसान रेल की शुरूआत।
17. बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) – क्लस्टर विकास कार्यक्रम
18. कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्ट-अप इको सिस्टम का निर्माण
19. खेतीबाड़ी तथा उससे संबद्ध कृषि-वस्तुओं के निर्यात में उपलब्धि
पांच राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों की स्थापना :-
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तिलहन की नौ फसलों और दलहन की बारह फसलों पर बुनियादी एवं रणनीतिक अनुसंधान करने के लिए पांच राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की है। इस पहल का उद्देश्य फसलों की उत्पादकता क्षमता और विभिन्न जैविक तथा अजैविक समस्याओं के प्रति सहनशीलता/प्रतिरोधकता को बढ़ाना है, ताकि उनकी पोषण गुणवत्ता में वृद्धि की जा सके। तिलहन व दलहन की स्थान (इकोसिस्टम) विशिष्ट उच्च उपज देने वाली किस्मों और उनके लिए उम्दा प्रबंधन प्रणालियों को विकसित करने के लक्ष्य के साथ राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से सात बहु-विषयक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं (एआईसीआरपी) भी कार्यान्वित की जा रही हैं। परिणामस्वरूप, पिछले दस वर्षों (2014-2024) के दौरान तिलहन फसलों की कुल 383 उच्च उपज देने वाली जलवायु अनुकूल किस्में/संकर और विभिन्न दालों की 398 किस्में वाणिज्यिक खेती के लिए जारी तथा अधिसूचित की गई हैं। कम परिपक्वता अवधि (60-100 दिन) वाली दालों (मूंग एवं उड़द) और तिलहन (सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन व सूरजमुखी) की किस्मों के साथ-साथ फोटो-थर्मो असंवेदनशीलता विशेषताओं को भी विकसित किया गया है, जिससे उन्हें नए क्षेत्रों, विभिन्न मौसमों तथा अलग-अलग फसल क्रमों के लिए उपयुक्त बनाया जा सके ताकि भारत की फसल गहनता को बढ़ाने में सफलता प्राप्त हो सके।
उपज अवरोधों को तोड़ने के लिए जीनोम एडिटिंग और मार्कर असिस्टेड ब्रीडिंग के माध्यम से तिलहन तथा दलहन की उन्नत मेगा-किस्मों के तेजी से विकास जैसी नवीन शोध गतिविधियां भी इन फसलों में शुरू की गई हैं। द्वितीयक फसलों और सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग, उभरने के बाद खरपतवारनाशकों, सूक्ष्म सिंचाई, मशीनीकरण और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने जैसी फलदायक कृषि पद्धतियों का विकास भी किया जा रहा है।
तिलहन 153704 क्विंटल प्रजनक बीज तथा दलहन के 80205 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन :-
पिछले पांच वर्षों (2019-20 से 2023-24) के दौरान तिलहन की किस्मों के लगभग 153704 क्विंटल प्रजनक बीज तथा दलहन के 80205 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया और उनकी किसानों के लिए प्रमाणित गुणवत्ता वाले बीज में बदलने हेतु सार्वजनिक/निजी बीज एजेंसियों को आपूर्ति की गई। आईसीएआर तिलहन और दलहन हेतु 185 जिला स्तरीय बीज केंद्रों के माध्यम से किसानों के लिए तिलहन व दलहन के गुणवत्ता प्रमाणित/टीएफएल बीज की उपलब्धता बढ़ाने में भी लगा हुआ है।
बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता :-
भारत सरकार बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) को क्रियान्वित कर रही है। इस पहल के तहत पैक हाउस, इंटीग्रेटेड पैक हाउस, शीत भंडारण, रीफर परिवहन, राइपनिंग चैंबर आदि की स्थापना सहित विभिन्न बागवानी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह गतिविधि मांग/उद्यमी प्रेरित है, जिसके लिए सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 प्रतिशत की दर से ऋण से जुड़ी बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता उपलब्ध है। इसके साथ ही संबंधित राज्य बागवानी मिशनों (एसएचएम) के माध्यम से पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से आर्थिक मदद प्रदान की जाती है।