मीनेश चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। बहुचर्चित एकल-पट्टा केस करीब 11 साल पुराने मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। मामले के लिए बनी कमेटी की जांच में ये सामने आया कि जेडीए-यूडीएच के अधिकारियों ने खुद ही डॉक्युमेंट गायब कर दिए थे। क्योंकि जांच में आज दिन तक पता नहीं चला कि ये डॉक्युमेंट कैसे और कब गायब हो गए।
अशोक नगर पुलिस थाने में जांच अधिकारी ने किया मुकदमा दर्ज
गौरतलब है कि करीब 11 साल पुराने एकल पट्टा मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। मामले के लिए बनी कमेटी की जांच में ये सामने आया कि जेडीए-यूडीएच के अधिकारियों ने खुद ही डॉक्युमेंट गायब कर दिए थे। क्योंकि जांच में आज दिन तक पता नहीं चला कि ये डॉक्युमेंट कैसे और कब गायब हो गए। अधिकारियों की ओर से इस मामले में गलत तथ्य देकर गुमशुदगी का झूठा मामला दर्ज करवाया गया था। अब 24 दिसंबर को एकल पट्टा जांच समिति के सचिव रवि शर्मा ने अशोक नगर थाने में मामला दर्ज करवाया है। रिपोर्ट में बताया गया कि तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने केस से संबंधित डॉक्युमेंट को षड्यंत्रपूर्वक गायब किया था और गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई थी।
जांच समिति को पता चला – डॉक्युमेंट जेडीए ने ही गायब कर दिए
आपको बता दें, भजनलाल सरकार ने मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आरएस राठौड़ की अध्यक्षता में 28 जून 2024 को कमेटी गठित की थी। कमेटी ने नगरीय विकास और आवासन विभाग को मूल पत्रावली देने के आदेश दिए थे। इस पर शासन उप सचिव ने बताया कि ये डॉक्युमेंट ऑफिस में उपलब्ध ही नहीं है। इस पर एक सर्च पत्र जारी किया गया। सचिव ने बताया कि 8 अगस्त 2013 को अशोक थाने में डॉक्युमेंट गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी। इस दौरान दिए गए डॉक्युमेंट की समिति ने जांच की तो पता चला कि जेडीए-यूडीएच के अधिकारियों ने खुद ही डॉक्युमेंट गायब कर दिए थे। क्योंकि जांच में आज दिन तक पता नहीं चला कि ये डॉक्युमेंट कैसे और कब गायब हो गए। अधिकारियों ने इस मामले में गलत तथ्य देकर गुमशुदगी का झूठा मामला दर्ज करवाया था।
मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक शांति धारीवाल
आरटीआई कार्यकर्ता अशोक पाठक ने बताया कि पट्टा घोटाला में मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक शांति धारीवाल हैं। धारीवाल को बचाने के लिए अशोक नगर थाने में मिलीभगत से थाने के परिवाद रजिस्टर में फेरबदल कर नगरीय विकास विभाग, सचिवालय जयपुर में गुम हुई पत्रावलियों का परिवाद दर्ज करवाने के लिए षड्यंत्र रचा गया। इस घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी ने यह षड्यंत्र पकड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सुनवाई के दिए थे निर्देश
काबिले गौर है कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर 2024 को एकल पट्टा केस में अपने आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले की सुनवाई करें और 6 महीने के अंदर अपना फैसला दें। इसके बाद 6 दिसंबर को हाईकोर्ट ने एक बार फिर से एकल पट्टा केस में सुनवाई शुरू की थी। मामले में विधायक शांति धारीवाल सहित यूडीएच विभाग के तीन पूर्व अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को मामले में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने और आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक को इंटरवेनर बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था। कोर्ट ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में मामले को फाइनल सुनवाई के लिए रखा है। लेकिन जब मूल दस्तावेज गायब हो जाए तो कैसे हो सकता है न्याय, यह प्रश्न हर आदमी के जेहन में पैदा होता है।
पहले हाईकोर्ट ने केस वापस लेने को माना था सही
सुप्रीम कोर्ट ने अशोक पाठक की एसएलपी पर 5 नवंबर को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के 17 जनवरी 2023 और 15 नवंबर 2022 को आदेश रद्द कर दिए थे। 17 जनवरी के आदेश से हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बंद करके जांच पत्रावली को एसीबी कोर्ट में पेश कर दिया। एसीबी की दो क्लोजर रिपोर्ट को एसीबी कोर्ट ने खारिज करते हुए 18 अप्रैल 2022 को कुछ बिंदुओं पर डीआईजी स्तर के अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एसीबी की ओर से 19 जुलाई 2022 को तीसरी क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी। इसमें भी एसीबी ने एकल पट्टा प्रकरण में किसी भी तरह अनियमितताएं नहीं पाई थीं।
हाई कोर्ट ने सही माना था सरकार द्वारा केस वापस लेने की बात को
इस पर एसीबी ने कोर्ट से इन आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को वापस लेने की एप्लिकेशन लगाई थी। इसे एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इनकी अपील पर 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के संधू, दिवाकर और सैनी के खिलाफ केस वापस लेने को सही माना था।
परिवादी ने लगाया था शांति धारीवाल को आरोपी बनाने का प्रार्थना पत्र
इस पूरे मामले में परिवादी की ओर से शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाने का प्रार्थना पत्र लगाया गया था। इसके खिलाफ धारीवाल ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने धारीवाल को राहत देते हुए 15 नवंबर 2022 को एसीबी कोर्ट में चल रही प्रोटेस्ट पिटीशन सहित अन्य आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया था। धारीवाल की ओर से कहा गया था कि उनका एफआईआर से लेकर चालान में कहीं भी नाम नहीं है। एसीबी की ओर से पेश क्लोजर रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई अपराध प्रमाणित नहीं माना गया। लेकिन, उसके बाद भी एसीबी कोर्ट ने प्रकरण में अग्रिम जांच के आदेश दिए, जो कि गलत है।
क्या है एकल पट्टा प्रकरण
दरअसल, 29 जून 2011 में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। इसकी शिकायत परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में की थी। तत्कालीन वसुंधरा सरकार के समय 3 दिसंबर 2014 को एसीबी ने इस प्रकरण में मामला दर्ज किया। बाद में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था।
अब देखना होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में राजस्थान हाई कोर्ट पत्रावली से दस्तावेज गायब होने की स्थिति में किस प्रकार से अपना निर्णय देगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल, ऐसी स्थिति में आम आदमी के जेहन में एक ही यक्ष प्रश्न उत्पन्न होता है कि भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्टाचारियों की जड़ें कितनी गहरी और मजबूत होती है ?