आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच हुआ डोनर एग्रीमेंट

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


नई दिल्ली। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिनेवा में डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में आयोजित एक हस्ताक्षर समारोह में एक दाता समझौते (डोनर एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए गए।

दोनों के बीच दान समझौते पत्र पर हस्ताक्षर का एग्रीमेंट


भारत में कहां है WHO का ऑफिस
गौरतलब है कि यह समझौता मुख्य रूप से गुजरात के जामनगर में स्थित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (GTMC) की गतिविधियों को लागू करने के वित्तीय शर्तों की रूपरेखा के बारे में है। आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ की ओर से संयुक्त राष्ट्रसंघ जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री अरिंदम बागची और  यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एंड लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने हस्ताक्षर किए।
इस कार्यक्रम में आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए तथा इसका संचालन डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी की ए.आई. निदेशक डॉ. श्यामा कुरुविला ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का प्रतिनिधित्व करने वाली शेफ डी कैबिनेट डॉ. रजिया पेंडसे ने किया।


दान समझौता कितने साल का हुआ और इससे भारत को कितना धन मिलेगा
इस समझौते के अनुसार गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) के संचालन का समर्थन करने के लिए 10 वर्षों (2022-2032) की अवधि में 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान देगी। यह दाता समझौता (डोनर एग्रीमेंट) लोगों और धरती के स्वास्थ्य एवं कल्याण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से साक्ष्य-आधारित पारंपरिक पूरक एवं एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) के लिए एक प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना को मान्यता देता है।
समझौते के लिए भारत में कैबिनेट की मंजूरी कब मिली
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ 25 मार्च 2022 को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना को दुनिया भर में पारंपरिक दवा के पहले और एकमात्र वैश्विक आउट-पोस्ट सेंटर (कार्यालय) के रूप में चिन्हित करता है।
डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी का अंतरिम कार्यालय में कामकाज पहले से ही शुरू है, जो अपने उद्देश्यों के लिए प्रासंगिक क्षमता-निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। इन कार्यक्रमों में डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी में परिसर-आधारित, आवासीय या वेब-आधारित प्रशिक्षण शामिल होगा।
दान समझौते से कैसे मिलेगा फायदा
आयुष मंत्रालय ने विभिन्न मोर्चों पर डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग किया है, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध प्रणालियों में प्रशिक्षण व अभ्यास के लिए मानक दस्तावेजों का विकास, इन प्रणालियों के लिए डब्ल्यूएचओ शब्दावली का निर्माण, रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण-11 के पारंपरिक चिकित्सा अध्याय में दूसरे मॉड्यूल की शुरूआत, एम-योग जैसे ऐप का विकास और इंटरनेशनल फार्माकोपिया ऑफ हर्बल मेडिसिन (आईपीएचएम) के लिए समर्थन शामिल है। डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी सहित ये सहयोगी प्रयास, पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भारत की मदद करेंगे।
आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ के संयुक्त प्रयासों से न केवल भारत को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में भी योगदान मिलेगा। इससे पारंपरिक चिकित्सा के जरिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत होगी।