रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
नई दिल्ली। केंद्र सरकार बैंक जमा पर मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने पर विचार कर रही है। बैंक डिपॉजिट पर पांच लाख रुपए तक का ही बीमा होता है, लेकिन वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस सीमा को जल्द बढ़ाया जा सकता है।

वर्तमान में ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन’ के तहत किसी भी बैंक के बंद होने या दिवालिया होने की स्थिति में जमाकर्ताओं को अधिकतम 5 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है।
यह बीमा राशि एक व्यक्ति के सभी खातों पर कुल मिलाकर दी जाती है यानी यदि किसी व्यक्ति का बैंक में 10 लाख रुपये जमा है और बैंक बंद हो जाता है, तो उसे सिर्फ 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे।
यह बीमा कवर सीधे जमाकर्ता से प्रीमियम नहीं लेता, बल्कि बैंक ही इसका प्रीमियम चुकाते हैं। यह बीमा सिर्फ उन्हीं हालातों में लागू होता है जब बैंक पर मोरेटोरियम लग जाए या वह पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। हाल ही में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में सामने आई अनियमितताओं के बाद एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में है। इससे पहले भी पीएमसी बैंक, यस बैंक, और लक्ष्मी विलास बैंक जैसी संस्थाओं में वित्तीय संकट के चलते ग्राहकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
इन घटनाओं के मद्देनज़र, सरकार का मानना है कि बीमा सीमा बढ़ाने से लोगों का बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा बढ़ेगा। साथ ही है वे गारंटी की रकम तक पैसा जमा करने में संकोच नहीं करेंगे। इससे बचत में बढ़ोतरी होगी और बैंक ज्यादा कर्ज देने की स्थिति में होंगे। अगर कोई बैंक दिवालिया घोषित होता है या उस पर मोरेटोरियम लगाया जाता है, तो डीआईसीजीसी के नियमों के मुताबिक जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर बीमा राशि प्रदान की जाती है। प्रभावित बैंक को 45ओ दिनों के भीतर खाताधारकों का विवरण डीआईसीजीसी को भेजना होता है और इसके बाद अगला 45 दिनों में राशि खाताधारकों को दी जाती है।