सहकारी समितियों से किसानों को मिलेगा फायदा

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मीनेष चन्द्र मीना
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


नई दिल्ली। सहकारिता मंत्रालय ने तीन राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी समितियां स्थापित की हैं; निर्यात, जैविक उत्पाद और गुणवत्ता वाले बीजों के लिए एक-एक समितियां। इन समितियों को एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत किया गया है। सभी स्तरों की सहकारी समितियां, जो उपरोक्त प्रत्येक समिति के लिए निर्दिष्ट गतिविधियों में रुचि रखती हैं, सदस्य बनने के लिए पात्र हैं।


राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल)
एनसीईएल को भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको), राष्ट्रीय कृषि सहकारी, मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड), गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) तथा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। एनसीईएल की प्रारंभिक चुकता पूंजी 500 करोड़ रुपये है जिसमें पांच प्रमोटरों द्वारा प्रत्येक 100 करोड़ रुपये का योगदान है। इसकी अधिकृत शेयर पूंजी 2,000 करोड़ रुपये है। एनसीईएल की स्थापना सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं की वस्तुओं और सेवाओं का प्रत्यक्ष निर्यात करने तथा अन्य संवर्धन गतिविधियों को चलाने के लिए की गई है। एनसीईएल सहकारी क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ाने में सहायता देगी, जिससे “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा। एनसीईएल के माध्यम से अधिक निर्यात होने से सहकारी समितियों की वस्तुओं और सेवाओं के विभिन्न स्तरों पर बाजार संपर्क बढ़ेंगे। इससे सहकारी क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजित होंगे। एनसीईएल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 5,438 सहकारी समितियों को सदस्यता प्रदान की जा चुकी है।


राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल)
एनसीओएल का संवर्धन एनडीडीबी, जीसीएमएमएफ, नेफेड, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और एनसीडीसी की ओर से किया जाता है। एनसीओएल की आरंभिक चुकता पूंजी 100 करोड़ रुपये है, जिसमें पांचों प्रवर्तकों द्वारा 20-20 करोड़ रुपये का योगदान दिया गया है तथा अधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपये है। एनसीओएल की स्थापना जैविक उत्पादों के एकत्रीकरण, प्रमाणन, परीक्षण, खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबललिंग, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक सुविधाओं, विपणन के लिए संस्थागत सहायता प्रदान करने तथा सरकार की विभिन्न योजनाओं और एजेंसियों की सहायता से जैविक उत्पादों के प्रचार और विकास गतिविधियों के साथ-साथ पीएसीएस/एफपीओ सहित अपने सदस्य सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक किसानों को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करने में सुविधा प्रदान करने के लिए की गई है। एनसीओएल विभिन्न स्तरों पर सहकारी समितियों द्वारा जैविक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रामाणिक और प्रमाणित जैविक उत्पादों के विपणन में सहायक होगी। एनसीओएल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 3,772 सहकारी समितियों को सदस्यता प्रदान की गई है।


भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल)
बीबीएसएसएल को इफको, कृभको, नेफेड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और एनसीडीसी द्वारा प्रवर्तित किया जाता है। समिति की आरंभिक चुकता पूंजी 250 करोड़ रुपये है, जिसमें पांचों प्रवर्तकों द्वारा 50-50 करोड़ रुपये का योगदान है और अधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपये है। बीबीएसएसएल की स्थापना सहकारी नेटवर्क के माध्यम से एकल ब्रांड के अंतर्गत गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद और वितरण के लिए की गई है, ताकि फसल की पैदावार में सुधार हो और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित की जा सके। बीबीएसएसएल सहकारी समितियों के माध्यम से भारत में गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे आयातित बीजों पर निर्भरता कम होगी, कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा और देश आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर होगा। बीबीएसएसएल के माध्यम से गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन से देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे कृषि और सहकारी क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा होंगे। बीबीएसएसएल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 11,713 सहकारी समितियों को सदस्यता प्रदान की गई है। भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) सहकारी समितियों के नेटवर्क के साथ-साथ अन्य विपणन चैनलों के माध्यम से एकल ब्रांड के तहत गुणवत्ता वाले बीज वितरित करेगी।
बीबीएसएसएल गुणवत्ता संपन्न बीजों के उत्पादन, खरीद और वितरण के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने और आयातित बीजों पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए सभी वर्तमान सार्वजनिक और सहकारी क्षेत्र की बीज कंपनियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करेगी।
यह जानकारी सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।