किसानों के संगठनों को 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता

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रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख


नई दिल्ली। भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत 10,000 एफ.पी.ओ. के गठन और संवर्धन हेतु प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स-पीएसीएस) को आवश्यक समर्थन और बाजार संबंध प्रदान करने की दिशा में पैक्स को मजबूत करके सहकारी क्षेत्र में 1100 अतिरिक्त किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) के गठन और बढ़ावा देने की पहल की है।


किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) के गठन
इन एफपीओ का गठन मौजूदा पैक्स के सदस्यों के साथ किया जाना है, इस प्रकार, एफपीओ और पैक्स के बीच बाजार संबंध विकसित किए जाएंगे ताकि उनकी उपज या उत्पादों का बैकवर्ड के साथ-साथ फारवर्ड एकीकरण किया जा सके। इससे पैक्स के साथ-साथ उनके सदस्यों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी और इससे पैक्स को अपने व्यवसाय का विस्तार करने में भी सहायता मिलेगी। एफपीओ मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण गतिविधियों के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और पैक्स एफपीओ के इस व्यवसाय के लिए कच्चे माल का प्रमुख स्रोत होगा। यह पैक्स को आय के नए और स्थिर स्रोत जुटाने में सक्षम बनाएगा।


एफपीओ क्या है ?
* एफपीओ एक कानूनी इकाई है जिसका स्वामित्व और प्रबंधन किसानों के पास होता है, जिसमें किसान, डेयरी उत्पादक, मछुआरे, बागान मालिक और कृषि क्षेत्र में प्राथमिक उत्पादन में लगे अन्य लोग शामिल होते हैं।
* दूसरे शब्दों में,एफपीओ किसानों के नेतृत्व वाले स्वैच्छिक समूह हैं जो अपनी और अपने समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए अपनी नीतियों और निर्णयों को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
* इनका लक्ष्य खेती में उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का उपयोग करना है, साथ ही संसाधनों के उपयोग में कुशल, लागत प्रभावी और टिकाऊ होना है।
* एफपीओ को कंपनी अधिनियम के तहत या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत सहकारी के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
* यदि किसान मिलकर नया एफपीओ बनाना चाहते हैं तो एक नाम सुझाकर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर करवा सकते हैं।
*किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्यों का किसान होना और भारत की नागरिकता का होना अनिवार्य है।
* हर एक किसान उत्पादक संगठन में कम से 11 किसानों का होना अनिवार्य है।
* एफपीओ मूल रूप से सहकारी समितियों और निजी कंपनियों का मिश्रण हैं।
एफपीओ बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी सरकार
केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत-10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन के तहत भारत सरकार कमजोर वर्गों और महिला किसानों सहित छोटे, सीमांत और भूमिहीन किरायेदार किसानों को जीवंत और स्थिर आय उन्मुक्त खेती के विकास हेतु एफपीओ बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके अलावा, कुशल, किफायती और टिकाऊ संसाधन उपयोग के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाकर कृषि समुदायों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास और कल्याण और उनकी उपज के लिए बेहतर लिक्विडिटी एवं बाजार संपर्क के माध्यम से अधिक आय प्राप्त करना और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से टिकाऊ बनना भी इसके उद्देश्य में शामिल हैं।
प्रत्येक कृषक सदस्य को 2000 रुपये तक मिलेगा इक्विटी अनुदान
इस योजना के तहत, एफपीओ की व्यवहार्यता, स्थिरता और ऋण पात्रता को बढ़ाने के साथ-साथ उनके एफपीओ में किसानों के स्वामित्व और भागीदारी को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रति एफपीओ 15 लाख रुपए तक की निर्धारित अधिकतम सीमा की शर्त पर प्रत्येक कृषक सदस्य को 2000 रुपये तक का इक्विटी अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा, एफपीओ के कार्यों का ठीक से प्रबंध करने के लिए तीन वर्षों के दौरान प्रति एफपीओ 18 लाख रुपए तक की प्रबंधन लागत प्रदान की जाती है।
एफपीओ 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता
क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन (सीबीबीओ) को एफपीओ को बढ़ावा देने और सहायता प्रदान करने के लिए प्रति एफपीओ 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीबीबीओ एफपीओ के किसान सदस्यों को प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराते हैं और एफपीओ के लिए जानकारी प्रदान करने वाले कार्यक्रमों की व्यवस्था भी करते हैं। सीबीबीओ क्रेडिट लिंकेज के साथ-साथ बाजार लिंकेज भी प्रदान करते हैं। यह पहल किसानों को आवश्यक बाजार संपर्क प्रदान करके उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगी।
एफपीओ के लिए क्रेडिट गारंटी योजना
मुख्यधारा के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से एफपीओ की ऋण तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, एफपीओ के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएसएफपीओ) के तहत एनएबीसंरक्षण द्वारा क्रेडिट गारंटी कवर के माध्यम से कोलेट्रल के बिना 2 करोड़ रुपये तक की ऋण सहायता प्रदान की जाती है। यह पहल एफपीओ को ऋण देने के लिए वित्तीय संस्थानों के जोखिम को कम करके एफपीओ को संस्थागत ऋण के प्रवाह में तेजी लाएगी ताकि बेहतर व्यावसायिक योजनाओं को क्रियान्वित करने की उनकी वित्तीय क्षमता में सुधार होगा जिससे लाभ में वृद्धि होगी।
यह बात सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।